LAC पर तनाव को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका ने भारत के समर्थन में उठाया ये कदम

चीन की तानाशाही के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए चीन को पटखनी देने का प्लान बनाया है अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने चीन में उइगर मुस्लिमों का उत्पीड़न करने के जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है.

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप( Photo Credit : फाइल)

Advertisment

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन की तनातनी के बीच अमेरिका ने चीन की एशिया में बढ़ती तानाशाही के खिलाफ अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनात करने का फैसला किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने ये ऐलान किया है. अमेरिका यह कदम ऐसे समय उठा रहा है कि जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं, तो दूसरी ओर वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और साउथ चाइना सी में खतरा बना हुआ है.

चीन की तानाशाही के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए चीन को पटखनी देने का प्लान बनाया है अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने चीन में उइगर मुस्लिमों का उत्पीड़न करने के जिम्मेदार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है. अब इस बिल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया है. इस बिल के लिए हुए वोटिंग में पक्ष में 413 वोट जबकि खिलाफ में केवल एक वोट पड़ा. बिल के पास होने के बाद कई नेताओं ने कहा कि सीनेट ने इस बिल को सर्वसम्मति से पास किया है जिससे मानवाधिकारों का हनन करने पर चीन पर प्रतिबंध लगाया जा सके. रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप इस बिल पर जल्द हस्ताक्षर करेंगे.

अमेरिका ने चीन के खिलाफ बनाया गुट
दुनियाभर के 8 अलग-अलग देशों के सांसदों ने एकजुट होकर अमेरिका के नेत्रत्व में  पांच जुन को चीन के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन तैयार किया है. अमेरिका समेत 8 देशों के वरिष्ठ सांसदों ने एक सुर में साफ कहा कि चीन मानवाधिकारों, ग्लोबल ट्रेड और सुरक्षा के लिए दुनिया में एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है. अमेरिकन लेजिसलेटर मोरको रूबियो ने एक वीडियो मैसेज के साथ इस गठबंधन के शुरूआत की घोषणा की.इस अलायंस ने ये भी बताया कि हमारा उद्देश्य चीन से जुड़े मुद्दों पर एक होकर सक्रिय और रणनीतिक साझेदारी तैयार करने की है. दुनिया के आठ बड़े देशों के इस गठबंधन में ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन ,ऑस्ट्रेलिया, नार्वे और ईयू के सांसद भी शामिल हैं.

यह भी पढ़ें-पाक के बाद अब चीन को सबक सिखाएंगे डोभाल, ऐसे देंगे चीन को जवाब

चीन पर शिकंजा कसने की अमेरिका की तैयारी
अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में तैनात किए दो विमान वाहक युद्धपोत- चीन की विस्तारवादी आक्रमक रवैये के खिलाफ दक्षिण चीन सागर में लगातार उकसावे का खेल खेल रहे चीन पर शिकंजा कसने के लिए अमेरिका ने दो विमानवाहक युद्धपोत तैनात कर दिए हैं. अमेरिका के भेजे गए ये दोनों ही पोत यहां सैन्य अभ्यास में शामिल होंगे. अमेरिकी नौसेना ने इसकी पुष्टि की है और कहा है कि हमने प्रशांत सागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए यूएसएस रीगन (CVN 76)और यूएसएस निमित्ज हिंत (CVN 68) दक्षिण चीन सागर में भेजे हैं. दोनों ही विमानवाहक युद्धपोत अभ्यास में जुट गए हैं.

यह भी पढ़ें-क्या फिर होगा 'काली मौत' का हमला? चीन में अब पनप रही यह जानलेवा बीमारी

जापान ने चीन के खिलाफ तैनात की मिसाइल
जापान ने चीन से लगी सीमा की तरफ अपनी मिसाइल तैनात करने के अलावा सेना की संख्‍या में भी इजाफा किया है. चीन की युद्ध वाली मंशा को देखते हुए जापान अपनी वायु रक्षा बढ़ा रहा है. वह इस साल जून तक चार सैन्य ठिकानों पर पैट्रियट पीएसी-3 एमएसई वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की तैनाती को अंतिम रूप देगा. यूएस-जापान समाचार ने हवाला देते हुए कहा, ‘पीएसी-3 एमएसई हिट-टू-किल किसी भी खतरे का मुकाबला करने में सक्षम है.’ जापान में तैनात वर्तमान पैट्रियट पीएसी-3 की अधिकतम मार 70 किमी है और पीएसी -3 एमएसई के नए वर्जन में इसको बढ़ाकर 100 किमी तक किया गया है. दिसंबर 2017 में लॉकहीड मार्टिन ने पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 और PAC-3 मिसाइल सेगमेंट एन्हांसमेंट मिसाइलों को संयुक्त राज्य अमेरिका और सहयोगी देशों को देने के लिए 944 मिलियन डालर का करार किया है. जापानी रक्षा मंत्री तारो कोनो ने सार्वजनिक रूप से देश में दो एजिस एशोर मिसाइल रक्षा प्रणालियों की स्थापना को निलंबित करने के निर्णय की घोषणा की है. कोनो ने तकनीकी मुद्दों और बढ़ती लागतों को मुख्य कारकों को इसका कारण बताया है.

यह भी पढ़ें-चीन को राजनाथ की चेतावनी- बॉर्डर हो या अस्पताल, हम तैयारी में पीछे नहीं रहते हैं

भारत के साथ सीक्रेट डील को तैयार
मोदी सरकार को एक और सफलता मिली है. जापान (Japan) अब चीन के खिलाफ भारतीय सेना के साथ सीक्रेट डील को तैयार हो गया है. उसने डिफेंस इंटेलिजेंस (Defence Intelligence) साझा करने के लिए अपने कानून में बदलाव किया है. इस बदलाव के साथ ही जापान अमेरिका के अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करेगा. जापान के सीक्रेट कानून के दायरे में यह विस्तार पिछले महीने किया गया. इससे पहले जापान केवल अपने निकटतम सहयोगी अमेरिका के साथ ही डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करता था, लेकिन अब इस सूची में भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी शामिल हो गए हैं.विवादों के बीच 2014 में लागू हुए इस कानून के मुताबिक, जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली जानकारी लीक करने पर जुर्माने के साथ ही 10 साल की सजा का भी प्रावधान है. इस कानून के तहत रक्षा, कूटनीति और काउंटर-टेररिज्म आते हैं.

यह भी पढ़ें-आख़िर दलाई लामा से इतना क्यों चिढ़ता है चीन? जानें वजह

भारत के साथ जापान ने किया युद्धाभ्यास
भारतीय और जापानी नौसेना ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए संयुक्त युद्धाभ्यास किया. जापानी नौसेना ने ट्वीट किया कि 27 जून को जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के JS KASHIMA और JS SHIMAYUKI ने भारतीय नौसेना के आईएनएस राणा और आईएनएस कुलीश के साथ हिंद महासागर में एक अभ्यास किया. इसके जरिए जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स ने भारतीय नौसेना के साथ अपने समझ और सहयोग को बढ़ाया.

INDIA china US US President Donald Trump Indo-China Relationship
Advertisment
Advertisment
Advertisment