तीसरे विश्‍वयुद्ध की आहट! जानें पहले और दूसरे विश्‍वयुद्ध का क्‍या हुआ था असर

इस समय ईरान (Iran) की ओर से की गई कोई भी जवाबी कार्रवाई दुनिया को विश्‍वयुद्ध (World War) की ओर धकेल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत ही विध्‍वंसक होगा.

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Sunil Mishra
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तीसरे विश्‍वयुद्ध की आहट! जानें पहले और दूसरे विश्‍वयुद्ध का क्‍या हुआ था असर

तीसरे विश्‍वयुद्ध की आहट! जानें पहले-दूसरे विश्‍वयुद्ध का असर( Photo Credit : File Photo)

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अमेरिका (America) द्वारा इराक (Iraq) की राजधानी बगदाद (Baghdad) पर हमला कर ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी (Major General Qassim Soleimani) को मारने के बाद से तृतीय विश्‍वयुद्ध (Third World War) की आशंका प्रबल हो गई है. सोशल मीडिया (Social Media) पर भी वर्ल्‍ड वार 3 (World War 3) टॉप ट्रेंड कर रहा है. जानकार बता रहे हैं कि इस समय ईरान (Iran) की ओर से की गई कोई भी जवाबी कार्रवाई दुनिया को विश्‍वयुद्ध (World War) की ओर धकेल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत ही विध्‍वंसक होगा. दुनिया दो ध्रुवों में बंट जाएगी. एक का नेतृत्‍व अमेरिका (America) तो दूसरे का रूस (Russia) और चीन (China) कर सकते हैं. जो देश किसी भी ध्रुव में नहीं होंगे, उन पर भी इस युद्ध का व्‍यापक असर होगा. इस समय जो विश्‍व की व्‍यवस्‍था बन रही है, उसमें अमेरिका की वह स्‍थिति नहीं है, जब उसने अफगानिस्‍तान और सद्दाम हुसैन के समय में इराक पर हमला किया था. ब्रिटेन सहित नाटो (NATO) के कई देश ईरान के मेजर जनरल सुलेमानी को टारगेट करने की घटना को पचा नहीं पा रहे हैं. विश्‍वयुद्ध की बात हो रही है तो आइए जानते हैं पहले और दूसरे विश्‍वयुद्ध में क्‍या हुआ था, किसलिए विश्‍वयुद्ध हुए और दोनों युद्धों से क्‍या कुछ हासिल हुआ:

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पहला विश्‍वयुद्ध (1914-18)

28 जून 1914 को आस्‍ट्रिया के राजकुमार आर्क ड्युक फ्रांसिस फर्डिनेंड (Archduke Ferdinand) और उनकी पत्नी की सर्बिया के शहर सेराजेवा (Seraajevo) में हत्‍या कर दी गई. यह घटना ही पहले विश्‍वयुद्ध का कारण बनी. एक माह बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी. रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की. अगस्त में जापान, ब्रिटेन आदि की ओर से और कुछ समय बाद उस्मानिया, जर्मनी की ओर से युद्ध में शामिल हुए थे. यह पहला युद्ध था जो आकाश, जमीन और पानी तीनों क्षेत्रों में लड़ा गया.

महत्‍वपूर्ण तथ्य

  • प्रथम विश्व युद्ध (First World War) की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई.
  • प्रथम विश्व युद्ध चार वर्षों (1914-1918) तक चला , जिसमे 37 देशों ने भाग लिया.
  • इसमें सम्पूर्ण विश्व दो खेमों में बंट गया था मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र. धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी ने किया और ऑस्ट्रिया ,हंगरी और इटली ने उसका साथ दिया.
  • मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और फ्रांस शामिल थे.
  • प्रथम विश्व युद्ध (First World War) के समय अमेरिका का राष्ट्रपति वुडरो विल्सन थे.
  • अमेरिका 6 अगस्त 1917 को प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ था. इसके बाद अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा मिलिट्री पॉवर बनकर उभरा.
  • 11 नवम्बर 1918 को प्रथम विश्व युद्ध समाप्‍त हुआ था.
  • प्रथम विश्‍वयुद्ध खत्‍म होने के बाद जर्मनी के साथ 28 जून 1919 को वर्साय की संधि हुई और युद्ध के हर्जाने के रूप में उससे 6 अरब 50 करोड़ पौंड राशि की मांगी गई, जो दूसरे विश्‍वयुद्ध का बड़ा कारण साबित हुआ.
  • पहले विश्‍वयुद्ध के बाद राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई.

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दूसरा विश्‍वयुद्ध (1939-45)

पहले विश्‍वयुद्ध के बाद इस तरह की लड़ाइयों को रोकने के लिए राष्‍ट्रसंघ की स्‍थापना की गई थी, जो मित्र राष्‍ट्रों के प्रभाव से उबर ही नहीं पाया और फलस्‍वरूप 20 वर्षों बाद ही दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया. दूसरा विश्वयुद्ध पहले से कहीं अधिक प्रलयंकारी था. द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि मे ही बो दिए गए थे. मित्र राष्ट्रों ने जिस तरह जर्मनी से अपमानजनक व्यवहार बर्ताव किया, उसे जर्मन जनमानस कभी भूल नहीं सका. संधि की शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उस से छीनकर बांट लिया. उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया. अतः जर्मन वर्साय की संधि को एक राष्ट्रीय कलंक मानते थे. मित्र राष्ट्रों के प्रति उनमें प्रबल प्रतिशोध की भावना जगी. हिटलर ने इस मनोभावना को और अधिक उभारकर सत्ता हथिया ली. सत्ता में आते ही उसने वर्साय की संधि की धज्जियां उड़ा दी और घोर आक्रामक नीति अपना कर दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ कर दिया.

महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

  • 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया. उसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध का बिगुल बज गया. शीघ्र ही इंग्लैंड और फ्रांस ने भी जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी. उधर जर्मनी ने पोलैंड पर अधिकार कर लिया.
  • 1 सितंबर 1939 से 9 अप्रैल 1940 तक का काल नकली युद्ध या फोनी वार का काल माना जाता है क्योंकि इस अवधि में युद्ध की स्थिति बने रहने पर भी कोई वास्तविक युद्ध नहीं हुआ था.
  • 9 अप्रैल 1940 को जर्मनी ने नॉर्वे तथा डेनमार्क पर आक्रमण कर उन पर अधिकार कर लिया. जून 1940 तक जर्मन सेना ने बेल्जियम और हॉलेंड के अतिरिक्त फ्रांस पर भी अधिकार कर लिया. बाध्य होकर फ्रांस को आत्मसमर्पण करना पड़ा.
  • फ्रांस के बाद जर्मन बमवर्षकों ने इंग्लैंड पर हवाई आक्रमण कर उसे बर्बाद करने की योजना बनाई, परंतु इंग्लैंड की लड़ाई में जर्मनी को सफलता नहीं मिली.
  • जून 1941 में जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर एक बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया परंतु सोवियत संघ ने मास्को की ओर जर्मन सेना को आगे बढ़ने से रोक कर उसे वापस लौटने को विवश कर दिया.
  • 1944 में पराजित होकर इटली ने आत्म समर्पण कर दिया. इससे जर्मन शक्ति को आघात लगा. स्तालिनग्राद के युद्ध में जर्मनी को परास्त कर सोवियत सेना आगे बढ़ते हुए बर्लिन जर्मनी तक पहुंच गई. बाध्य होकर 7 मई 1945 को हिटलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा.
  • 6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर परमाणु बम गिरा कर उन्हें पूर्णता नष्ट कर दिया.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की जरूरत फिर से प्रतीत हुई. अमेरिका की पहल पर 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र नामक संस्था की स्थापना की गई.

Source : News Nation Bureau

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