श्रीलंका अभी भी एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट से जूझ रहा है, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री केहेलिया रामबुकवेला ने संसद को बताया कि आने वाले महीनों में लगभग 40,000 बच्चों के कुपोषण से पीड़ित होने की संभावना है. मंत्री ने कहा कि एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, वर्तमान में 21,000 बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं और आने वाले महीनों में यह संख्या बढ़कर 40,000 होने का अनुमान है. बढ़ते कुपोषण संकट को दूर करने के लिए, रामबुकवेला ने कहा कि कुपोषित बच्चों को खिलाने के लिए देश दिसंबर से फोस्टर पैरेंट प्रोग्राम शुरू करेगा.
सरकार कार्यक्रम के लिए धन जुटाने की योजना बना रही है क्योंकि देश में हजारों बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए पूंजी की कमी है. रामबुकवेला ने आगे कहा कि निजी क्षेत्र से प्राप्त 1 बिलियन एलकेआर (2.7 मिलियन डॉलर) में से 500 मिलियन एलकेआर (1.35 मिलियन डॉलर) आवंटित किए गए हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के प्रमुख सुरेन बटागोडा ने कहा कि इस बीच, द्वीपीय देश 66,000 गरीबी से जूझ रहे परिवारों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए छह महीने की अवधि तक 15,000 एलकेआर (40 डॉलर) का मासिक भत्ता भी प्रदान करेगा.
हाल ही में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट से पता चला है कि श्रीलंका के बच्चे मौजूदा आर्थिक संकट से असमान रूप से प्रभावित हैं और बढ़ते सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे ने भोजन, ईंधन, उर्वरक और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता और सामथ्र्य को प्रभावित किया है. इस स्थिति के कारण 2.3 मिलियन बच्चों सहित लगभग 5.7 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने यह भी अनुमान लगाया है कि देश अक्टूबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच बिगड़ती खाद्य असुरक्षा के पूर्वानुमान के साथ एक गंभीर आर्थिक संकट में है. यह अनुमान लगाया गया है कि 6.2 मिलियन लोग, या कुल आबादी का 28 प्रतिशत लोगों में खाने पीने के सामान की कमी है, जबकि 66,000 लोग गंभीर रूप से असुरक्षित हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया, पांच में से दो परिवार (41.8 प्रतिशत) अपने खर्च का 75 प्रतिशत से अधिक भोजन खरीदने पर खर्च करते हैं, जिससे स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च करने के लिए बहुत कम बचत होती है. कई परिवारों ने अपनी बचत समाप्त कर ली है और चरमराती महंगाई के कारण गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. देश में गहराते आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच 2022 में श्रीलंका का बाहरी श्रम प्रवास 286 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ा है.
बच्चों की शिक्षा सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि कई बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए हैं या विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर कम उपस्थिति दर्ज की गई है. यूनिसेफ ने कहा कि यह मुख्य रूप से परिवहन चुनौतियों, आर्थिक कठिनाई और स्कूल के भोजन के सीमित प्रावधान के कारण है, जो स्कूल में उपस्थिति को हतोत्साहित करता है.
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Source : IANS