आज 2 सितंबर है, आज से ठीक 62 साल पहले भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले के करीब मैकलोड़गंज में तिब्बत की निर्वासित सरकार की स्थापना हुई थी. तब से हर साल दुनिया भर में तिब्बत के निर्वासित लोग अपने देश में लोकतंत्र की बहाली और चीन के अत्याचार को याद करते हैं. तिब्बत 1913 से लेकर 1950 तक एक आजाद देश था, लेकिन भगवान बुद्ध की पूजा करने वाले इस मुल्क को युद्ध के जरिए चीन ने गुलाम बना लिया.
यह भी पढ़ें : भारत में 23.87 लाख से ज्याद व्हाटसएप अकाउंट बैन, जानें क्या होगी कार्रवाई
निर्वाचित महिलाएं बताती हैं कि जब तिब्बत की राजधानी ल्हासा में उनकी किसी से बात होती है और अगर बातचीत में लोकतंत्र का नाम ले ले तो भी चीन की पुलिस अत्याचार करने लग जाती है. महिलाओं के खिलाफ बलात्कार तक होते हैं. तिब्बत के अंदर तिब्बत की भाषा बोलने और दलाई लामा की फोटो लगाने पर प्रतिबंध है. हमसे हमारी संस्कृति छीनी जा रही है.
इन लोगों को उम्मीद है आज नहीं तो कल उनका देश स्वतंत्र होगा. वह भारत के आभारी हैं कि भारत में उनके निर्वासित सरकार चल रही है. गौरतलब है कि ताइवान में करीब 300 से ज्यादा तिब्बत शरणार्थी रहते हैं. इन सभी ने शपथ ली है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो वह ताइवान की तरफ से चीन के तानाशाह के खिलाफ लड़ेंगे.
यह भी पढ़ें : पीएम नरेंद्र मोदी बोले- समंदर में तैरता शहर है INS विक्रांत
तिब्बत के लोगों ने अपना 62वां लोकतांत्रिक दिवस का जश्न मनाया और मां भारती को सलाम करने के लिए देश भक्ति के गाने भी गाए. गौरतलब है कि जब लद्दाख में चीन के द्वारा लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल का उल्लंघन किया था, तब भारतीय सेना में कार्यरत तिब्बत के लोगों ने चाइना के खिलाफ कैलाश रेंज के ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर फतह हासिल की थी.
Source : Rahul Dabas