पाकिस्तान में एक और मुसीबत ने उसके नाक में दम कर रखा है. आतंकवाद का पनागाह माना जाने वाला देश अब खुद इसकी जद में आ चुका है. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि उसे यूएन से मदद मांगनी पड़ी रही है. यह नई मुसीबत कोई और नहीं बल्कि TTP है, यानि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान. बीते साल पाक सरकार से संघर्ष समझौता तोड़ने वाला ये आतंकी संगठन अब पाकिस्तान के लिए नासूर बन चुका है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने गुरुवार को एक बार फिर यूएन में इसका जिक्र किया है. उन्होंने यूएन से इस बात की जांच कराने की अपील की है. आखिर TTP यानी पाकिस्तानी तालिबान के पास विदेशी अत्याधुनिक हथियार कहां से आ रहे हैं. मुनीर अकरम ने यूएन के सामने पाकिस्तान में हुए हमलों को पूरा ब्योरा दिया है. उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर को TTP से संबद्ध समूह ने डेरा इस्माइल खान में हमला किया. इसमें 23 सुरक्षा जवानों की मृत्यु हो गई.
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टीटीपी अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है
तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है. इनका काम एक ही है. यह कई छोटे-छोटे आतंकी संगठनों से मिलकर तैयार हुआ. ऐसा बताया जाता है कि इसकी स्थापना 2007 में हुई. उस समय अफगानिस्तान में तालिबान कमजोर था. ऐसे में पाकिस्तान में तालिबान की विचारधारा का समर्थन करने वाले संगठन की नींव पड़ी. पाकिस्तान ने इस संगठन को कई सालों तक पाला पोसा, अब इस संगठन से पाकिस्तान खुद परेशान है.
TTP के पास विदेशी हथियारों जखीरा
यूएन में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा, TTP के पास जो विदेशी हथियार हैं, ये सेनाओं द्वारा उपयोग होता था. इसकी जांच होनी जरूरी है. ये हथियार उन तक किस तरह पहुंचे. ऐसा माना जा रहा है कि अकरम का इशारा अमेरिकी हथियारों की ओर था. ये अफगानिस्तान से वापसी के समय अगस्त 2021 में वहीं छोड़ दिए गए थे. अकरम के अनुसार, हमने 40 साल तक अफगानिस्तान के लिए उदारता दिखाई. आज हम उसे भुगत रहे हैं .पाकिस्तान में बीते दिनों टीटीपी के कई हमलों में पाकिस्तान सैनिक शहीद हुए है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर ये आतंकी संगठन लगातार कई बड़े हमले कर चुका है.
Source : News Nation Bureau