तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) नामक आतंकवादी संगठन ने पाकिस्तान सरकार पर पहले किए गए फैसलों का सम्मान करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए महीने भर के संघर्ष विराम को बढ़ाने से इनकार कर दिया है. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक इस घोषणा ने शांति प्रयासों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. गुरुवार को जारी टीटीपी के बयान के मुताबिक इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार न सिर्फ दोनों पक्षों के बीच हुए फैसलों को लागू करने में नाकाम रही, बल्कि इसके विपरीत सुरक्षाबलों ने डेरा इस्माइल खान, लक्की मारवात, स्वात, बाजौर, स्वाबी में भी छापेमारी की और उत्तरी वजीरिस्तान और मारे गए और आतंकवादियों को हिरासत में लिया.
टीटीपी ने कहा, 'इन परिस्थितियों में संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना संभव नहीं है.' इससे पहले एक ऑडियो संदेश में मुफ्ती नूर वली महसूद ने युद्धविराम की समाप्ति की घोषणा की और अपने लड़ाकों को 12 बजे के बाद हमले फिर से शुरू करने के लिए कहा. ऑडियो में मुफ्ती नूर का कहना है कि चूंकि टीटीपी ने मध्यस्थों या सरकार से कोई जवाब नहीं सुना है इसलिए आधी रात के बाद उनके लड़ाके जहां कहीं भी हमले फिर से शुरू करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं.
टीटीपी द्वारा देर शाम जारी एक बयान में छह सूत्रीय समझौते का विवरण दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह तालिबान के नेतृत्व वाले 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' (आईईए) के तत्वावधान में सरकार के साथ 25 अक्टूबर 2021 को पहुंचा था. समझौते के अनुसार दोनों पक्षों ने स्वीकार किया था कि आईईए एक मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा और दोनों पक्ष पांच सदस्यीय समितियां बनाएंगे, जो मध्यस्थ की देखरेख में प्रत्येक पक्ष के कार्रवाई के अगले पाठ्यक्रम और मांगों पर चर्चा करेगी. युद्धविराम या शत्रुता की समाप्ति को बिना किसी बड़े उल्लंघन के लागू किया गया है.
डॉन न्यूज के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अगस्त के मध्य में अफगान तालिबान के अधिग्रहण के तुरंत बाद पाकिस्तान के अंदर टीटीपी के नेतृत्व वाले आतंकवादी हमलों में नाटकीय वृद्धि देखी गई थी. रिपोर्ट में कहा गया नवंबर को युद्धविराम के संबंध में संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष 1 से 30 नवंबर तक एक महीने तक चलने वाले युद्धविराम का पालन करने पर भी सहमत हुए थे और सरकार 102 'कैद में बंद मुजाहिदीन' को रिहा करेगी और उन्हें 'आईईए' के माध्यम से टीटीपी को सौंप देगी. संघर्षविराम को समाप्त करने का टीटीपी का निर्णय दशकों से राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे आतंकवादियों के साथ शांति समझौता करने के पाकिस्तान सरकार के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका है.
HIGHLIGHTS
- टीटीपी का संघर्ष विराम को बढ़ाने का आरोप
- इमरान सरकार पर फैसला तोड़ने का आरोप
- पाकिस्तान सरकार के शांति प्रयासों को झटका