जी-20 नेताओं के सम्मेलन बोलते हुए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा तुर्की में अफगानी शरणार्थियों को नहीं रखा जाएगा. क्योंकि तुर्की में पहले से ही 36 लाख सीरियाई शरणार्थी मौजूद हैं. एर्दोगन के इस ऐलान को पूरी तरह तालिबान के पक्ष से जोड़कर देखा जा रहा है. एर्दोगन ने कहा अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए तुर्की ने सीमा पर सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए हैं..जिसके चलते किसी भी कीमत पर शरणार्थी तुर्की में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. आपको बता दें की पुतिन ने तालिबानी नेताओं को जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए न्यौता भेजा था.
जी-20 नेताओं के सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति पर बोलते हुए एर्दोगन ने कहा कि तुर्की एक बार फिर शरणार्थियों की नई बाढ़ नहीं झेल सकता है. उन्होंने जी-20 में अफगानिस्तान पर एक वर्किंग ग्रुप बनाने का भी प्रस्ताव पेश किया.. एर्दोगन ने कहा कि तुर्की इस वर्किंग ग्रुप का नेतृत्व करने को भी तैयार है. तुर्की के राष्ट्रपति के इस बयान को अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर कई मायने निकाले जा रहे हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान से शरणार्थी ईरान के रास्ते तुर्की की सीमा तक पहुंच रहे हैं. पाकिस्तान के बाद अफगान शरणार्थियों के लिए सबसे मुफीद रास्ता बनता जा रहा है.. ईरान भी इन लोगों को अपने देश से निकलकर यूरोपीय सीमा तक पहुंचने में बाधा पैदा नहीं कर रहा है.. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद लाखों की संख्या में अफगान नागरिकों ने देश छोड़ा है..
HIGHLIGHTS
- एर्दोगन ने कहा तुर्की में नहीं रहेंगे अफगान शरणार्थी
- जी-20 नेताओं के सम्मेलन में किया तालिबान के पक्ष में ऐलान
- तुर्की में आज भी मौजूद है 36 लाख सीरियाई शरणार्थी