तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने मानवाधिकार कार्यकर्ता उस्मान कवाला की रिहाई की मांग करने वाले 10 देशों के राजदूतों को निष्कासित करने का आदेश दिया है.
इन 10 देशों में कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और अमेरिका शामिल हैं. चार साल से जेल में बंद उस्मान कवाला की रिहाई के लिए 10 देशों द्वारा संयुक्त अपील के बाद निष्कासन का आदेश दिया गया है. तुर्की के राष्ट्रपति के आदेश पर 10 राजदूतों को तुर्की विदेश मंत्रालय बुलाया गया और बाद में एर्दोगन ने राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के उल्लंघन पर उन्हें देश से निष्कासित करने को कहा.
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एर्दोगन ने अपने ट्विटर पर प्रसारित एस्किसेहिर शहर में एक संबोधन में कहा, मैंने अपने विदेश मंत्री को यह सुनिश्चित करने के लिए तुरंत उपाय करने का निर्देश दिया है कि इन दस राजदूतों को गैर-व्यक्ति घोषित किया जाए. अमेरिका समेत इन देशों ने सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान कवाला की रिहाई का समर्थन किया है. जिसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने यह कार्रवाई की है. कवाला पिछले चार साल से ज्यादा समय से जेल में हैं. उन पर विरोध-प्रदर्शन के समर्थन और तख्तापलट की कोशिश के आरोप हैं, हालांकि उन्हें दोषी साबित नहीं किया जा सका है.
क्या है पूरा मामला
ओस्मान कवाला को पिछले साल वर्ष 2013 में होने वाले देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों से जुड़े आरोपों को लेकर रिहा कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद फिर से कवाला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. कवाला पर कवाला पर साल 2016 में तुर्की में हुई तख़्तापलट की कोशिश और अर्दोआन सरकार को गिराने की कोशिश से जुड़े आरोपों में फिर से गिरफ्तार किया गया था. कवाला का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. जबकि तुर्की सरकार के आलोचकों का अपना तर्क है. उनका कहना है कि कवाला की गिरफ़्तारी तुर्की में विरोध की आवाज़ों के दमन का एक उदाहरण है. इन 10 देशों ने भी कवाला की रिहाई का समर्थन किया था जिसके बाद तुर्की सरकार ने एक्शन लेते हुए यह फरमान सुना दिया है.
HIGHLIGHTS
- एक्टिविस्ट उस्मान कवाला की रिहाई की मांग को लेकर लिया फैसला
- अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, न्यूजीलैंड समेत 10 देश है शामिल
- कवाला पिछले चार साल से ज्यादा समय से जेल में हैं