यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ने अपनी कुर्सी पर आए खतरे को हरा दिया है. टोरी पार्टी की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में उन्हें जीत हासिल हुई है. कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन के खिलाफ टोरी पार्टी कंजर्वेटिव्स (Conservative MPs) के बीच अविश्वास प्रस्ताव लाई थी. अगर बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ये प्रस्ताव हार जाते, तो उन्हें पार्टी नेता का पद तो छोड़ना ही पड़ता, साथ ही प्रधानमंत्री पद भी छोड़ना पड़ता. उनके खिलाफ वोटिंग हुई, तो उन्होंने 148 के मुकाबले 211 वोटों से जीत हासिल की.
बोरिस जॉनसन और उनकी सरकार के मंत्रियों पर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच ये प्रस्ताव पार्टी के भीतर ही लाया गया था. कंजर्वेटिव पार्टी में टोरी पार्टी हार्डलाइनर पार्टी में मानी जाती है. टोरी पार्टी ही ये प्रस्ताव लेकर आई थी. मौजूदा समय में यूके की पार्लियामेंट में कंजर्वेटिव पार्टी के 359 सांसद हैं. ऐसे में टोरी पार्टी को बोरिस जॉनसन के खिलाफ 180 वोट इकट्ठे करने थे. वहीं, बोरिस जॉनसन को अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए भी 180 वोटों की ही जरूरत थी. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला समूह 148 वोट ही बटोर सकी. हालांकि पार्टी के भीतर बोरिस जॉनसन किस तरह से कमजोर हुए हैं, ये उनके विरोध में पड़े 148 वोट बाखूबी दिखा रहे हैं.
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अब एक साल तक बोरिस जॉनसन की कुर्सी को कोई खतरा नहीं
ब्रिटेन के संविधान के मुताबिक, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक साल में एक ही बार लाया जा सकता है. ऐसे में अगले एक साल तक वो प्रधानमंत्री पद पर बने ही रहेंगे. संसद में कंजर्वेटिव्स का बहुमत है, तो फिलहाल बोरिस जॉनसन राहत की सांस ले सकते हैं. इस अविश्वास प्रस्ताव में जीत हासिल करने के बाद बोरिस जॉनसन ने पत्रकारों से भी बातचीत की. हालांकि उन्होंने ये कहा कि इस वोटिंग से कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. अब सरकार पूरी ताकत से देश को आगे बढ़ाने में जुट गई है. बता दें कि दो साल पहले कंजर्वेटिव पार्टी ने यूके के आम चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया था. उस समय भी पार्टी का नेतृत्व जॉनसन ही कर रहे थे. लेकिन टोरी पार्टी के प्रस्ताव के बाद दिख रहा है कि पार्टी में उनका विरोध काफी बढ़ चुका है.
HIGHLIGHTS
- बोरिस जॉनसन ने जीता अविश्वास प्रस्ताव
- टोरी पार्टी का अविश्वास प्रस्ताव गिरा
- अगले एक साल तक नहीं आ सकता कोई अविश्वास प्रस्ताव