रूस-यूक्रेन में तनाव के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा फैसला ले लिया है. इसके लिए अब तक भले ही रूसी सेना ने यूक्रेन पर खुल कर हमला न किया हो, लेकिन उन्होंने यूक्रेन को बर्बाद करने की जिद ठान ली है. ऐसे में व्लादिमीर पुतिन ने अब नई चाल चली है. और इसमें वो इस्तेमाल करेंगे दुनिया के सबसे बड़े मंच संयुक्त राष्ट्र यानि यूएन का. इसके लिए रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक बुलाई है, जिसमें वो यूक्रेन के दो विद्रोही प्रांतों को अलग देश का दर्जा दिलाने की कोशिश कर सकते हैं. बता दें कि यूक्रेन के संकटग्रस्त दोनों हिस्से डोनेत्स्क और लुहंस्क खुद को डि-फैक्टो यानि स्वघोषित स्वतंत्र देश घोषित कर चुके हैं और अब रूस इसपर मुहर लगा सकता है.
रूस का कदम काफी गंभीर
रूस के ऐसा करने से अलगाववादी ताकतों को बड़ी मदद मिलेगी. भले ही यूक्रेन उन्हें अलग हिस्से के तौर पर न स्वीकार करे, लेकिन डोनेत्स्क और लुहंस्क खुद को स्वतंत्र देश के तौर पर पाएंगे और दुनिया के दूसरे देशों से संबंध भी बना सकेंगे. खास बात ये है कि अगर रूस डोनेत्स्क और लुहंस्क को मान्यता दे देता है तो वो सीधे तौर पर इन दोनों हिस्सों को कंट्रोल कर सकेगा. यही नहीं, डोनेत्स्क और लुहंस्क को रूस समर्थक देश भी मान्यता दे सकते हैं. इस तरह से अलग-थलग पड़े विद्रोहियों के कब्जे वाले दोनों हिस्से खुद को एक स्वतंत्र देश के तौर पर पेश कर सकेंगे. ऐसा करने से रूस को दुनिया की किसी भी ताकत के साथ न तो लड़ाई करनी पड़ेगी और न ही यूक्रेन पर सीधा हमला करने की जरूरत पड़ेगी. वो डोनेत्स्क और लुहंस्क की स्थानीय प्रतिनिधि सभाओं में अपने समर्थक का विधेयक पारित करा कर खुद के अंदर शामिल कर सकता है, क्रीमिया के मामले में वो ऐसा कर भी चुका है.
2014 में क्रीमिया पर किया था कब्जा
बता दें कि 2014 में रूस ने यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर हमला करके कब्जा जमा लिया था. क्रीमिया पर कब्जे के बाद भी संघर्ष जारी रहा. यूक्रेन के डोनबास के दो इलाके डोनेत्स्क और लुहंस्क में अलगाववादियों ने अलग देश घोषित कर दिया. डोनेत्स्क और लुहंस्क अभी दो अलग-अलग देश हैं. ये दोनों देश पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं. हालांकि यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए पिछले कुछ महीनों से लाखों रूसी सैनिक यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं और माना जा रहा है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
Source : News Nation Bureau