रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच सुलह शांति के लिए बातचीत भी हो रही है, लेकिन वह अभी तक किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच सकी है. इसके साथ ही मॉस्को और कीव एक-दूसरे पर आरोप भी मढ़ते आ रहे हैं. अब एक बार फिर रूसी रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक प्रतिनिधि मेजर जनरल इगोर कोनाशेनकोव ने कहा कि कीव, डोनबास और रूसी संघ की आबादी के खिलाफ जैविक हथियारों के इस्तेमाल की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके पहले रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह घोषणा की थी कि सबूतों से जाहिर हुआ है कि यूक्रेन में स्थित अमेरिका की जैविक प्रयोगशालाएं गुप्त रूप से रोगजनकों को फैलाने के लिए काम कर रही हैं.
आरटी के मुताबिक इगोर ने कहा कि सामने आए तथ्य साबित करते हैं कि कीव शासन डोनबास और रूसी संघ की आबादी के खिलाफ जैविक हथियारों का उपयोग करने की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रहा है. कोनाशेनकोव ने कहा कि रूसी सशस्त्र बल कीव और चेर्निगोव में सैनिकों को फिर से भेजने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक विशेष सैन्य अभियान के पहले चरण में दुश्मन को अपने बलों, साधनों, संसाधनों और सैन्य उपकरणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कीव सहित इन दिशाओं में बड़ी बस्तियों को रखने के लिए मजबूर करने की योजना बनाई गई थी.
इस बीच रूस के अमेरिका पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल करने पर इराक ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. इराक में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व प्रमुख हथियार निरीक्षक, पूर्व अमेरिकी मरीन कॉर्प्स के खुफिया अधिकारी स्कॉट रिटर ने कहा कि गंभीरता से उन प्रयोगशालाओं की जांच करने की आवश्यकता है. केवल ऐसा करके यह साबित किया जा सकेगा कि अमेरिका ने जैविक हथियार के निषेध संधि का पालन किया है या नहीं. रिटर के अनुसार हालांकि उक्त जैविक प्रयोगशालाएं यूक्रेन में स्थित हैं, लेकिन उन का नियंत्रण अमेरिका के हाथों में है. इन प्रयोगशालाओं का संचालन 2005 में यूक्रेन व अमेरिका की संधि के तहत किया जा रहा है.
HIGHLIGHTS
- रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि का आरोप
- यूक्रेन में जैविक लैब पर अमेरिका का प्रभुत्व