यूक्रेन-रूस की जंग (Ukraine-Russia War) के बीच चीन (China) का अहम बयान आया है. चीन ने यूक्रेन-रूस की जंग को नाटो की विस्तारवादी नीतियों का फल करार दिया है. चीन ने साफ तौर पर कहा है कि अगर यूक्रेन (Ukraine) को नाटो (NATO) में शामिल करने की जिद न होती और नाटो अपना विस्तारवादी रवैया छोड़ देता तो ये जंग होती ही नहीं. चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग ने एक कार्यक्रम में कहा कि पूर्वी यूरोप में नाटो ने जो कुछ किया, उसकी परिणति जंग के रूप में सामने आई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नाटो जैसे ही काम अमेरिका (United States of America) अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र (Asia-Pacific Zone) में कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी विस्तारवादी नीतियों को तेजी से बढ़ा रहा है. वो एशिया-पैसिफिक जोन में ध्रुवीकरण कर रहा है, जिसके नतीजे खतरनाक होंगे.
इतिहास के पन्नों में होनी चाहिए थी नाटो की जगह
सिन्हुआ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटेजी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग (Le Yucheng) ने हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को भी वारसा संधि के साथ इतिहास के पन्नों में समेट दिया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बल्कि इसके बदले नाटो का लगातार विस्तार किया जाता रहा. उसकी विस्तारवादी नीतियों की वजह से ही आज यूक्रेन में जंग छिड़ी है. क्योंकि रूस को अपने बचाव में कुछ न कुछ कदम उठाने ही थे, जिसका परिणाम आज जंग के रूप में दुनिया के सामने है.
नाटो का बढ़ता दायरा खतरनाक साबित हुआ
युचेंग ने कहा कि जिस नाटो को 1990 के बाद खत्म हो जाना चाहिए था, वो यूरोप में और मजबूत होता गया. उसका दायरा बढ़ता गया. हाल के समय में कई देश इसमें शामिल हुए हैं, जिसमें से कई देश रूस के बेहद करीबी हैं. ये देश सोवियत संघ का हिस्सा रहे थे. यूक्रेन को लेकर भी नाटो की यही जिद थी कि वो नाटो में शामिल हो जाए. इसके लिए पूरी कोशिश की गई. लेकिन जब रूस ने काफी समझाया, फिर भी यूक्रेन नहीं माना तो जंग शुरू हो गई. बता दें कि चीन को रूस का काफी करीबी समझा जाता है. यही वजह है कि चीन यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई को आक्रमण बताने या उसकी निंदा करने से बचता आ रहा है.
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एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में हदों को न पार करे अमेरिका
चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग (Le Yucheng) भारत में चीन के राजदूत रह चुके हैं. वो भारत और चीन के संबंधों के बारे में बेहतर तरीके से जानते हैं. वो अमेरिकी मामलों के भी जानकार रहे हैं. ऐसे में उनका बयान काफी अहम हो जाता है. उन्होंने मंच पर ही कहा कि अमेरिका एशिया-पैसिफिक जोन में नाटो जैसी ही गोलबंदी कर रहा है. वो क्वॉड बना रहा है. वो ऑकस बना रहा है. वो चीन के पड़ोसी देशों के साथ अलग-अलग संधियां कर रहा है. लेकिन उसकी ये हरकतें खतरनाक हो सकती हैं. ऐसे में अमेरिका को एशिया-पैसिफिक जोन में तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए. बता दें कि दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका-चीन के बीच अक्सर तनातनी रहती है. यही नहीं, ताईवान को लेकर भी दोनों देश आमने-सामने आते रहे हैं, तो जापान-चीन के विवादित द्वीपों को लेकर भी अमेरिका की भूमिका जग जाहिर है. युचेंग ने कहा कि हिंद-प्रशांत रणनीति को आगे बढ़ाना उतना ही खतरनाक है, जितना यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार करने की नाटो की रणनीति. उन्होंने चेताया कि अगर इस रणनीति को बिना रोक-टोक के जारी रहने दिया गया तो इसके भयंकर परिणाम होंगे.
HIGHLIGHTS
- चीन ने यूक्रेन-रूस जंग की वजह बचाई
- नाटो-अमेरिका पर फोड़ा ठीकरा
- एशिया-पैसिफिक जोन को लेकर दी चेतावनी