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'यूक्रेन पर विश्व के तीसरे सबसे बड़े परमाणु बम गिराने की है तैयारी'

संकट में घिरे यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों से रूस के प्रति 'तुष्टिकरण की नीति' छोड़ने की अपील की है. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन पर संभावित रूसी आक्रमण की चिंताएं बढ़ रही हैं.

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Iftekhar Ahmed
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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ( Photo Credit : ANI)

युद्ध की आशंका के बीच संकट में घिरे यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों से रूस के प्रति 'तुष्टिकरण की नीति' छोड़ने की अपील की है. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन पर संभावित रूसी आक्रमण की चिंताएं बढ़ रही हैं. उन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की स्थित में रूस पर प्रतिबंधों की कूटनीति को नाकाफी बताया. इसके साथ ही उन्होंने दुनिया को आगाह किया कि ऐसी सूचना मिली है कि रूस यूक्रेन पर दुनिया का  तीसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियार गिराने की तैयारी कर रहा है. 

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संकट का हो शांतिपूर्ण समाधान 

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि मैं नहीं जानता कि रूसी राष्ट्रपति क्या चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं उन्हें मुलाकात का ऑफर देता हूं.  रूस जहां चाहे, वहां बातचीत के लिए जगह तय कर सकता है. उन्होंने शांति के प्रति अपने वचन एक बार फिर से दोहराए . जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन 'संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सिर्फ और सिर्फ कूटनीति के रास्ते पर चलता रहेगा.' 

रूस के प्रतिनिधि ने नहीं लिया सम्मेलन में हिस्सा 

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) में रूस ने भाग नहीं लिया. दरअसल, यूक्रेन संकट का मुकाबला करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति तय करने के लिए  ये बैठक बुलाई गई थी. सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि अगर रूस यूक्रेन पर बमबारी करता है तो प्रतिबंधात्मक रणनीति युक्रेन पर हमले के खतरे को कम नहीं कर पाएगा. 

हमारे पास हथियार नहीं, अधिकार है

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने  अपनी बेबसी बयान करते हुए कहा कि उनके पास कोई हथियार नहीं है और नहीं कोई सुरक्षा मौजूद है, लेकिन एक अधिकार है. उन्होंने पश्चिमी देशों को आईना दिखाते हुए कहा कि तुष्टिकरण की नीति से सुरक्षा और शांति बनाए रखने की मांग का अधिकार. 

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ये भी पढ़ें- यूक्रेन को लेकर इतना जुनूनी क्यों हैं पुतिन, क्या फिर बनेगा रूस का हिस्सा ?



गौरतलब है कि यूक्रेन की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी और नाटो में शामिल होने की अटकलों की वजह से रूस और यूक्रेन में युद्ध जैसे हालात है. दरअसल, रूस यूक्रेन के नाटो में शामिल होने को अपनी सुरक्षा के लिए खतरे के तौर देखता है. लिहाजा, रूस को यह गवारा नहीं है कि यूक्रेन किसी हाल में नाटो का हिस्सा बने. अमेरिका से यूक्रेन की नजदीकी विवाद की असल वजह है. इस बीच यूक्रेन और रूस समर्थित विद्रोहियों ने एक-दूसरे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया. रूस ने शनिवार को यूक्रेन पर आरोप लगाया कि पूर्वी यूक्रेन की सरकार के कब्जे वाले क्षेत्र से दागे गए कम से कम दो गोले सीमा पार गिरे. हालांकि, यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कलेवा ने इस दावे को एक फर्जी बयान बताते हुए खारिज कर दिया. इसके उलट यूक्रेन की सेना ने आरोप लगाया कि दोनेत्स्क क्षेत्र के सरकारी कब्जे वाले हिस्से में शनिवार तड़के गोलीबारी में एक सैनिक की मौत हो गई. तनाव के बीच बीच जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने को कहा है. इस बीच जर्मन एयर कैरियर लुफ्थांसा ने यूक्रेन की राजधानी कीव और ओडिशा नामक शहर के लिए फ्लाइट्स रद्द कर दी हैं. कीवी स्थित नाटो के संपर्क कार्यालय ने कहा कि यह कर्मचारियों को ब्रुसेल्स और पश्चिमी यूक्रेन शहर लविवि भेज रहा है. 

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HIGHLIGHTS

  • म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में झलका यूक्रेन के राष्ट्रपतिका दर्द
  • पश्चिमी देशों की ओर से रूस की तुष्टीकरण का उठाया मुद्दा
  • बोले, युद्ध की हालत में प्रतिबंध नहीं आएगा काम
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