इस वर्ष पिछले 7 वर्षों में अब तक का सर्वाधिक गर्म साल होने का रिकॉर्ड बनाया है. भीषण गर्मी की वजह से पूर्वी अफ्रीका में सूखे के कारण इमरजेंसी जैसे हालात है, जबिक भारत और पाकिस्तान में भीषण गर्मी पड़ रही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने 'स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट इन 2021' रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है, जब मौसम में होने वाले गंभीर बदलावों से हाल के दिनों में करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं.
जलवायु परिवर्तन के ये चार बड़े संकेत आए सामने
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 के दौरान जलवायु परिवर्तन के जिन चार प्रमुख संकेतकों के आधार पर यह रोपिर्ट तैयार की घई है. इनमें ग्रीनहाउस गैस की सघनता, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, महासागर का बढ़ता तापमान और समुद्री अम्लीकरण का नया रिकॉर्ड शामिल है.
आने वाले वर्षों में स्थितियां और भी होगी भयावह
WMO के मुताबिक यह दिखाता है कि मानवीय गतिविधियों की वजह से धरती, महासागर व वातावरण में व्यापक बदलाव आ रहा है. इससे विकास व पारिस्थितिकी तंत्रों पर लंबे समय में दुष्परिणाम सामने आएंगे. यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) के महासचिव पेटेरी टालस ने आगाह किया है कि जल्द ही एक और सबसे गर्म साल देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि हमारी जलवायु हमारी आंखों के सामने खतरनाक रूप लेती जा रही है. उन्होंने कहा है कि मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस की वजह से धरती आगे कई पीढ़ियों तक और भी गर्म होती रहेगी. टालस ने बताया है कि कुछ ग्लेशियर इतनी तेजी से पिघल रहे हैं कि उसे उलट पाना सम्भव नहीं है. जिसका लंबे वक्त में खतरनाक दुष्परिणाम होने की आशंका है. इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया है कि इस संकट को टालने के लिए वातावरण में एकत्र ग्रीन हाउस गैसों को हटाना होगा.
अक्षय ऊर्जा में तेजी लाने और ऊर्जा उत्पादन को बदलने की जरूरत
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाीयों पर बात करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री (सेल्सियस) तक सीमित करने के लिए, हमें अक्षय ऊर्जा में तेजी लाने और ऊर्जा उत्पादन को बदलने की बहुत ही जरूरत है. उन्होंने कहा कि कई देशों में सौर और पवन ऊर्जा पहले से ही ऊर्जा का सबसे सस्ता स्रोत है. इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र जीवाश्म ईंधन क्षेत्र की तुलना में तीन गुना ज्यादा रोजगार सृजन करता है. उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख क्लाइमेट इंडिकेटर स्पष्ट रूप से गलत दिशा में जा रहे हैं. बहुत अधिक महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता के बिना हम 1.5 डिग्री लक्ष्य को बनाए रखने का मौका खोने वाले हैं.
दरअसल, वर्ष 2020 में ग्रीनहाउस गैस सघनता का स्तर 413.2 पार्ट्स प्रति मिलियन पहुंच गया था, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. गौरतलब है कि यह पूर्व-औद्योगिक काल यानी 1850-1900 के स्तर की तुलना में 149% ज्यादा है. ग्लोबल सालाना औसत तापमान वर्ष 2021 में पूर्व-औद्योगिक काल के औसत की तुलना में 1.11 (±0.13 °C) डिग्री सेल्सियस ज्यादा आंका गया है.
गौरतलब है कि मानव-जनित कार्बन डाइऑक्साइड के कुल वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 23% महासागरों में समा रहा है. इससे महासागर में अम्लीकरण (Acidification) होता है. जिससे समुद्री जीवन व पारिस्थितिकी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होती है. इसे विशेषज्ञों ने फूड सिक्योरिटी, टूरिज्म और तटीय संरक्षण के लिहाज से भी यह खतरनाक और चिंताजनक माना है. हिमस्खलन की वजह से औसत समुद्री जल स्तर वर्ष 2021 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था.
HIGHLIGHTS
- ग्लोबल वार्मिंग और इख्तियार कर सकते हैं खतरनाक रूप
- नहीं चेते तो दुनिया के बड़े हिस्से पर पड़ सकती है सूखे की मार
- ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए ऊर्जा के नए स्रोत ढूंढने की जरूरत
Source : News Nation Bureau