संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे क्रूर और दमनकारी सैन्य अभियान को लेकर म्यांमार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए भारत से इन मुसलमानों को बाहर निकाले जाने की कोशिश पर दुख जताया है।
मानवाधिकार परिषद ने कहा पिछले महीने रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले को 'बढ़ा-चढ़ाकर' पेश किया गया। इसके साथ ही मानवाधिकार परिषद ने भारत में रह रहे रोहिंग्या को देश से बाहर निकाले जाने की कोशिश की आलोचना की है।
मानवाधिकार परिषद के जैद राद अल हुसैन ने कहा, 'म्यांमार के रोहिंग्या के खिलाफ जारी हिंसा के बीच भारत में रह रहे रोहिंग्या को निकाले जाने की कोशिश की मैं निंदा करता हूं।'
जैद ने कहा कि भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं और इनमें से 16,000 को रिफ्यूजी प्रमाण पत्र भी मिल चुका है।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति भारत की जवाबदेही को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, 'भारत सभी लोगों को सामूहिक तौर पर नहीं निकाल सकता और नहीं वह उन लोगों को वहां वापस जाने के लिए भेज सकता जहां उन्हें उत्पीड़न और गंभीर किस्म का खतरा हो सकता है।'
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म्यामांर के राखाइन प्रांत में जारी सांप्रदायिक हिंसा की वजह से अब तक करीब 3 लाख से अधिक लोगों को देश छोड़कर बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
गौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने देने की मांग करने वाली एक याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने को तैयार हो गया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है।
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HIGHLIGHTS
- म्यांमार में जारी रोहिंग्या संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकर परिषद ने की भारत की निंदा
- भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं, जिन्हें देश से बाहर निकाले जाने की मांग की जा रही है
Source : News Nation Bureau