संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में मानवाधिकार मामलों के एक विशेषज्ञ ने म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट के विरोध में बड़े प्रदर्शनों के बीच देश में बड़ी हिंसा की आशंका को लेकर आगाह किया है. संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्र्यू ने कहा कि उन्हें यांगून में सैनिकों को भेजे जाने की खबरें मिली हैं. जिनेवा में एंड्रुयू के कार्यालय की ओर से जारी बयान में उन्होंने कहा, 'पहले भी, ऐसी सैन्य कार्रवाईयों में बड़े स्तर पर लोगों की जान गई हैं, लोग गायब हुए हैं या उन्हें हिरासत में लिया गया है.' देश में हुए सैन्य तख्तापलट (Coup) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया. तब से सैन्य शासन ने प्रदर्शनकारियों पर दबाव बढ़ाया है जिनमें कुछ प्रदर्शनों पर बल प्रयोग करना और इंटरनेट सेवाएं निलंबित करना आदि कदम शामिल हैं.
देश में जोर पकड़ रहे धरना-प्रदर्शन
एंड्रूयू ने कहा कि व्यापक स्तर पर प्रदर्शन और सैनिकों की तैनाती के मद्देनजर उन्हें डर है कि हम म्यांमार के लोगों के खिलाफ सेना की क्रूर कार्रवाई देख सकते हैं. सेना और पुलिस की हिंसक कार्रवाइयों की आशंका के बीच देश में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन होने वाले हैं. गौरतलब है कि यांगून और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों के समूह एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ एवं देश की निर्वाचित नेता आंग सान सू ची एवं उनकी अपदस्थ सरकार के सदस्यों की हिरासत से रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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फौज ने 20 साल की सजा की चेतावनी
म्यांमार की फ़ौज ने तख़्तापलट का विरोध करने वालों को चेतावनी दी है कि अगर वे फ़ौज के काम में बाधा डालते हैं तो उन्हें 20 साल तक की कैद की सज़ा हो सकती है. फ़ौज ने कहा है कि तख़्तापलट करने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने और उनका अवमानना करने वालों को लंबी सज़ा होगी और उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. क़ानूनों में इन बदलावों की घोषणा कई शहरों की सड़कों पर बख़्तरबंद वाहनों के दिखने के बाद की गई है.
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आंग सान सू ची की हिरासत बढ़ी
हाल के दिनों में कई हज़ार लोगों ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है. प्रदर्शनकारी आंग सान सू ची समेत कई निर्वाचित नेताओं को हिरासत से छोड़ने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा वे देश में फिर से लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं. सोमवार को आंग सान सू ची के वकील खिन माउंग जॉ ने बताया कि उनकी हिरासत दो दिनों के लिए और बढ़ा दी गई है. वो अब नेपिडॉ की एक अदालत में होने वाली सुनवाई में वीडियो लिंक के माध्यम से शामिल होंगी.
HIGHLIGHTS
- म्यांमार में सैन्य तक्तापलट विरोधी धरना-प्रदर्शन तेज
- फौज ने दी 20 साल जेल में सड़ाने की धमकी
- संयुक्त राष्ट्र ने लोगों को सैन्य हिंसा पर किया आगाह