इंडोनेशिया के आसेह प्रांत में शरिया कानून चलता है। रूढ़िवादी समाजिक व्यवस्था वाले इस प्रांत की एक रीजेंसी ने अविवाहित जोड़ों को मेज शेयर करने पर रोक लगा दी है। समाचार एजेंसी 'एफे' की रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ताताओं ने कहा कि बिरूएन रीजेंसी के नए काननू में समलैंगिकों की खातिरदारी पर रोक है इसके अलावा रात नौ बजे से महिलाओं के काम करने पर भी रोक है।
मेयर सैफानुर द्वारा हस्ताक्षर किए गए नए कानून में महिलाएं अगर रिश्तेदार के साथ आती हैं तो उनको उनकी समय सीमा को नजरंदाज किया जा सकता है।
30 अगस्त को मंजूरी प्रदान किए गए कानून के अनुच्छेद 10 के अनुसार, शरिया कानून तोड़ने वाले ग्राहकों को वहां आने पर रोक है। इस कानून के तहत प्रतिबंधित के दायरे में लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर ग्राहक आते हैं।
कानून के अनुच्छेद 13 में रेखांकित किया गया है कि रिश्तेदार के साथ अगर नहीं हो तो पुरुष और महिला के एक साथ एक मेज पर खाने पर प्रतिबंध है।
अभिनेत्री और एनजीओ सुआरा हती पेरेमपुआन की संस्थापक नोवा एलिजा ने इसकी आलोचना की है। उन्होंने नगर पार्षद को पत्र लिखकर इस कानून को शरिया की गलत व्याख्या करार दिया है।
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बता दें कि कुछ समय पहले इंडोनेशिया के आचे प्रांत में कुछ अविवाहित जोड़ों और सेक्स वर्कर्स को शरिया कानून के तोड़ने के जुर्म में सरेआम कोड़े मारने की सजा दी गई थी। सजा पाने वाले दोषियों में 3 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल थीं।
अधिकारियों की मानें तो अविवाहित जोड़े शादी से पहले एक-दूसरे को छूने, जबकि सेक्स वर्कर्स को ऑनलाइन सेक्शुअल सर्विस ऑफर कर शरिया कानून का उल्लंघन करने के दोषी पाए गए थे।
गौरतलब है कि दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है और सिर्फ आचे में ही शरिया कानून लागू है। आचे प्रांत में काफी वक्त तक अलगाववादी विद्रोह होता रहा था इसको शांत करने के लिए इंडोनेशिया की सरकार ने 2001 में आचे को कुछ विशेष अधिकार दिए थे। सरेआम कोड़े मारने की सजा की शुरुआत 2005 से हुई थी।
(इनपुट आईएएनएस से)
Source : News Nation Bureau