बीजिंग में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स ने कहा-भारत अमेरिका का प्रमुख रक्षा भागीदार

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को देशों के क्वाड समूह को पुनर्जीवित करने का श्रेय देते हुए बर्न्स ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने पहले ही क्वाड की दो नेता-स्तरीय बैठकें आयोजित की थीं.

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Pradeep Singh
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Nicholas Burns

निकोलस बर्न्स, अमेरिकी राजनयिक( Photo Credit : NEWS NATION)

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बीजिंग में राजदूत के पद के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के उम्मीदवार निकोलस बर्न्स ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और भारतीय हितों का एकत्रीकरण चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियों के संदर्भ में "एक बड़ा अंतर बनाता है." बर्न्स बीजिंग के साथ संबंध बनाते समय विभिन्न देशों के साथ सहयोग करने में यू.एस. के अवसरों और बाधाओं पर एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. "चीन से हमारा तुलनात्मक लाभ यह है कि हम संधि सहयोगी हैं. हमारे पास ऐसे साझेदार हैं जो हम पर गहरा विश्वास करते हैं और चीनी वास्तव में नहीं करते हैं,”बर्न्स ने कहा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे इंडो-पैसिफिक में संधि साझेदारी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन  रेखांकित कर चुके हैं. उन्होंने भारत का भी उल्लेख किया, जो अमेरिका के साथ एक संधि भागीदार नहीं है, बल्कि एक 'प्रमुख रक्षा भागीदार' है और एक ऐसा देश है जो नियमित रूप से यू.एस. के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सुरक्षा अभ्यास करता है.

बर्न्स ने कहा "जैसा कि आप जानते हैं - और मुझे लगता है कि राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के बाद से हर प्रशासन इस पर काम कर रहा है - हमारे पास भारत के रूप में एक नया सुरक्षा भागीदार है, जिससे भारतीय और अमेरिकी हितों को गठबंधन करने में बहुत फर्क पड़ता है क्योंकि इंडो-पैसिफिक में वे स्पष्ट रूप से रणनीतिक रूप से साथ हैं." 

एक विदेशी सेवा अधिकारी के रूप में बर्न्स ने यू.एस.-भारत असैन्य परमाणु समझौते में महत्वपूर्ण वार्ता भूमिका निभाई थी. उन्होंने डेमोक्रेट और रिपब्लिकन प्रशासन दोनों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया - एक बात जो  सामने आई, वर्तमान में मिस्टर बर्न्स हार्वर्ड के जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में प्रोफेसर हैं.

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पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ को देशों के क्वाड समूह को पुनर्जीवित करने का श्रेय देते हुए बर्न्स ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने पहले ही क्वाड की दो नेता-स्तरीय बैठकें आयोजित की थीं. उन्होंने यह भी कहा कि यूके और ऑस्ट्रेलिया (एयूकेयूएस) के साथ यू.एस. की नई लॉन्च की गई सुरक्षा साझेदारी "परिवर्तनकारी" थी.

कुल मिलाकर बर्न्स ने कहा कि वह कुछ क्षेत्रों (अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी) में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने और अन्य क्षेत्रों (जैसे जलवायु कार्रवाई) में सहयोग करने की बाइडेन प्रशासन की नीति का समर्थन करेंगे, जबकि इंडो-पैसिफिक में चीन को उसके कार्यों के लिए भी जिम्मेदार ठहराएंगे. बर्न्स ने चीन में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ अमेरिका के बोलने का भी समर्थन किया, और कहा कि शिनजियांग में नरसंहार हो रहा था.

उन्होंने कहा "... पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना एक ओलंपियन शक्ति नहीं है. यह असाधारण ताकत वाला देश है, लेकिन इसमें काफी कमजोरियां और चुनौतियां भी हैं, जनसांख्यिकीय, आर्थिक, राजनीतिक रूप से, हमें अपनी ताकत पर भरोसा होना चाहिए. ”

बर्न्स ने कहा, ताइवान के प्रति बीजिंग की हालिया कार्रवाइयां (चीन ने इस महीने ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में जेट भेजे हैं) "विशेष रूप से आपत्तिजनक" थे.  हालाँकि, उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए अपनी 'वन चाइना' नीति को जारी रखना के सही है. 

 

Nicholas burns US Ambassador to Beijing India is America's major defense partner
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