अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और तुर्की के उनके समकक्ष रजब तैबय एर्दोआन ने मंगलवार को कोराना वायरस (Corona Virus) महामारी के मद्देनजर सीरिया एवं लीबिया में संघर्षविराम की जरूरत पर बल दिया. व्हाइट हाउस ने ऐसा कहा है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने फोन पर वायरस को पराजित करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने की कोशिशों पर बातचीत की.
बयान के अनुसार दोनों इस बात पर सहमत थे कि संघर्ष से गुजर रहे देशों खासकर सीरिया और लीबिया के लिए संघर्ष विराम का पालन करना और समाधान की दिशा में आगे बढ़ना बहुत ही महत्वपूर्ण है. सीरिया सरकार के अनुसार, वहां अब तक कोरेाना वायरस के महज मुट्ठी भर मामले सामने आए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी है कि गृह युद्ध से तबाह इस देश में यह वायरस कभी भी तेजी से फैल सकता है. उधर अराजकता से जूझ रहे लीबिया की स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जरके है.
अमेरिका भारत में फंसे अपने लोगों को निकालने करेगा ये काम
बता दें कि अमेरिका सरकार (US Government) कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी को फैलने से रोकने के लिए भारत में उड़ानें निलंबित होने और लॉकडाउन लागू किए जाने के चलते वहां फंस गए 2000 से अधिक नागरिकों को वापस लाने के लिए उड़ानों का इंतजाम कर रही है. यह जानकारी अमेरिका के विदेश विभाग ने दी.
प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री (कोविड-19 पर वाणिज्यिक दूतावास विषयक ब्यूरो) इयान ब्राउनली ने कहा कि अकेले दिल्ली में करीब 1500 अमेरिकी हैं, मुम्बई में 600 से 700 अमेरिकी हैं और अन्य स्थानों पर 300 से 400 अमेरिकी हैं जिन्होंने अपनी पहचान बताई है. उन्होंने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ हम यहां विभिन्न विकल्पों पर काम कर रहे हैं. एक चर्च समूह भी है जिसने एक बड़ा विमान किराए पर लिया है.
उन्होंने कहा कि हम उस विमान के लिए जरूरी परमिट देने के काम में लगे हैं. वे लगभग 150 अमेरिकियों को निकालने के लिए तैयार हैं. हम भारत से सीधे अमेरिका के लिए विमानों का प्रबंध करने के लिए अमेरिका और विदेशी विमान सेवाओं के साथ काम कर रहे हैं. ब्राउनली ने कहा कि अनुमति संबंधी बातों से फिलहाल चीजें थोड़ी जटिल हो गई हैं. हम इस दिशा में कार्रवाई के लिए तैयार हैं लेकिन भारत और अमेरिका दोनों देशों में अनुमति संबंधी मुद्दों के चलते वक्त लग रहा है. लेकिन हम आशावान हैं और हमारे आशावान होने की वजह भी है.
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि करीब तीन दिन में इसके लिए उड़ानें शुरू हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि विदेश विभाग विदेशों में लॉकडाउन और/या उड़ानें रद्द होने की वजह से फंसे लेकिन स्वेदश लौटने के लिए मदद पाने को इच्छुक 33,000 नागरिकों पर नजर बनाए हुए है. पहले विदेश विभाग ने कहा था कि 50,000 लोग विदेशों में फंसे हैं लेकिन ब्राउनली ने कहा कि लिपिकीय भूल के चलते आंकड़ा ज्यादा दर्शा दिया गया.
Source : Bhasha