ट्रंप प्रशासन ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से सभी संबंध तोड़ते हुए इस वैश्विक स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर होने के अपने फैसले से संयुक्त राष्ट्र को औपचारिक रूप से अवगत करा दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संगठन को आर्थिक मदद रोकने की घोषणा अप्रैल मध्य में की थी और डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के बाहर होने की अपनी मंशा भी मई में स्पष्ट रूप से जाहिर कर दी थी.
साथ ही, उन्होंने कहा था, ‘‘यह (डब्ल्यूएचओ बार-बार) अनुरोध किये गये और बहुत जरूरी सुधार करने में विफल रहा है.” अमेरिका ने पिछले साल चीन के वुहान शहर से फैली कोरोना वायरस महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया है.
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उसका आरोप है कि स्वास्थ्य संगठन ने विश्व को गुमराह किया, जिस कारण से दुनिया भर में पांच लाख लोगों की मौत हुई. इनमें से 1,30,000 मौत अकेले अमेरिका में हुई. राष्ट्रपति ट्रंप ने मई में कहा था, “चीन का विश्व स्वास्थ्य संगठन पर पूर्ण नियंत्रण है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि चीन सरकार ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की उत्पत्ति को ढंकने की कोशिश की है.’’
ट्रंप प्रशासन द्वारा संबंधों की समीक्षा शुरू करने के बाद अमेरिका ने अप्रैल में ही डब्ल्यूएचओ को धन आवंटित करना बंद कर दिया था. इसके एक महीने बाद राष्ट्रपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंध समाप्त करने की घोषणा की थी. अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे अधिक, प्रति वर्ष 45 करोड़ डॉलर से भी अधिक धन देता है, जबकि चीन का योगदान अमेरिका के योगदान के करीब 10वें हिस्से के बराबर है.
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा, ‘‘ मैं कह सकता हूं कि छह जुलाई 2020 को अमेरिका ने, महासचिव को विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने की जानकारी दी, जो छह जुलाई 2021 से प्रभावी होगा.’’
दुजारिक ने कहा कि महासचिव, डब्ल्यूएचओ के साथ इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि संगठन से हटने की सभी शर्तें पूरी की गईं या नहीं. संसद की विदेश संबंध समिति पर शीर्ष डेमोक्रेट, सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने ट्वीट किया कि कांग्रेस को अधिसूचना प्राप्त हुई है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को आधिकारिक रूप से हटा लिया है. अमेरिका 21 जून, 1948 से डब्ल्यूएचओ के संविधान में एक पक्षकार है.
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इसकी भागीदारी को विश्व स्वास्थ्य सभा ने अमेरिका की ओर से निर्धारित कुछ शर्तों के साथ स्वीकार किया था, जिसमें उसके वैश्विक संगठन से हटने की संभावना भी शामिल थी. इन शर्तों में एक साल का नोटिस देना भी शामिल था, जिसका अर्थ है कि संगठन से हटना अगले साल छह जुलाई तक तक प्रभावी नहीं होगा. इससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के बाद नयी सरकार ट्रंप प्रशासन के फैसले को पलट सकती है.
ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन ने ट्वीट किया, “राष्ट्रपति बनने के पहले ही दिन मैं (अमेरिका) फिर से डब्ल्यूएचओ में शामिल हो जाउंगा और वैश्विक मंच पर हमारे (अमेरिका के) नेतृत्व को बहाल करुंगा.” प्रतिनिधि सभा की डेमोक्रेटिक अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने डब्ल्यूएचओ से हटने के कदम को “बेवकूफी भरा’’ करार दिया है. ट्रंप प्रशासन के फैसले की कई सांसदों ने आलोचना की है और इसे एक “खराब नीति’’ भी बताया.
Source : News Nation Bureau