अमेरिका (US) की एक बायोटेक कंपनी ने दावा किया है कि देश के एक बड़े सरकारी अध्ययन में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ उसकी प्रायोगिक दवा प्रभावी साबित हुई है. गिलीड साइंसेज की मानें तो उसकी दवा रेमडेसिविर कोरोना वायरस के खिलाफ इस तरह की जांच में खरी उतरने वाली पहली दवा होगी. इलाज का विकल्प मिलने पर महामारी से निपटने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है, क्योंकि स्वास्थ्य अधिकारी अभी किसी तरह का टीका विकसित होने में कम से कम एक साल या उससे अधिक समय लगने की संभावना जता रहे हैं.
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) द्वारा कराए गए अध्ययन में दुनियाभर में अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस के करीब 800 रोगियों में रेमडेसिविर बनाम सामान्य देखभाल का परीक्षण किया गया. गिलीड ने बुधवार को परीक्षण के परिणाम का ब्योरा नहीं दिया, लेकिन कहा कि जल्द ही इस बाबत घोषणा की जा सकती है. एनआईच के अधिकारियों ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं दी.
Hydroxychloroquine की सप्लाई पर डोनाल्ड ट्रंप बोले- Thank You पीएम मोदी
गौरतलब है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के इलाज में उपयोग होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धन्यवाद कहा है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक ट्वीट में कहा कि मुश्किल हालात में दोस्तों के बीच और सहयोग की जरूरत पड़ती है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर फैसला लेने के लिए भारत और उसके लोगों को धन्यवाद. हम इसे कभी नहीं भुला सकते हैं. इस सहयोग के लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) को शुक्रिया.
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मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की भारत में पर्याप्त उत्पादन क्षमता
भारत मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा विनिर्माता है. इस दवा को अब कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में पासा पलटने वाला माना जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी दवा की आक्रमक तरीके से मांग कर रहे हैं. दवा उद्योग का कहना है कि देश के पास हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का तेजी से उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है.
ट्रंप की इस दवा की मांग के बाद भारत इसके निर्यात पर पाबंदी हटाने को सहमत हो गया है. इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के बीच इस दवा समेत दो दर्जन से अधिक रसायनों के निर्यात पर पाबंदी लगायी गयी थी. निर्यात पर पाबंदी हटाने से पहले अधिकारियों ने इस बात का आकलन किया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश को इस दवा की कितनी जरूरत है.