Advertisment

अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन की ओर से प्रस्तावित दो एच-1बी नियमों पर रोक लगाई

हजारों भारतीय पेशेवरों और शीर्ष अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को एक बड़ी राहत देते हुए एक अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित दो एच-1बी नियमों पर रोक लगा दी है.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
donald trump

डोनाल्ड ट्रंप( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

हजारों भारतीय पेशेवरों और शीर्ष अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को एक बड़ी राहत देते हुए एक अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित दो एच-1बी नियमों पर रोक लगा दी है. ये प्रस्ताव विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अमेरिकी कंपनियों की क्षमता को बाधित करते थे. एच-1बी वीजा एक गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेष व्यवसाय, जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है, के लिए विदेशी कर्मचारियों को रखने की इजाजत देता है.

अमेरिका प्रतिवर्ष 85 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है. आमतौर पर ये तीन साल के लिये जारी होते हैं और इन्हें नवीकृत कराया जा सकता है. करीब 6 लाख एच-1बी वीजाधारकों में से अधिकतर भारत और चीन से हैं. नॉर्दर्न डिस्ट्रिक ऑफ कैलीफोर्निया के जिला न्यायाधीश जैफरी व्हाइट ने मंगलवार को अपने 23 पन्नों के आदेश में ट्रंप प्रशासन की उस हालिया नीति पर रोक लगा दी जिसके तहत रोजगार प्रदाता को एच-1बी वीजा पर विदेशी कामगारों को महत्वपूर्ण रूप से ज्यादा मजदूरी देनी पड़ती.

उन्होंने इसके अलावा एक अन्य नीति को भी दरकिनार किया जो अमेरिकी टेक कंपनियों और अन्य रोजगार प्रदाताओं के लिये अहम माने जाने वाले एच-1बी वीजा की अर्हता को कम कर देती. इस फैसले के बाद गृह सुरक्षा विभाग का रोजगार और अन्य मुद्दों पर सात दिसंबर से प्रभावी होने वाला नियम अब अमान्य हो गया है. मजदूरी पर श्रम विभाग का आठ अक्तूबर को प्रभावी हुआ नियम भी अब वैध नहीं है.

इस मामले में वाद यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स, बे एरिया काउंसिल और स्टैनफोर्ड समेत कुछ विश्वविद्यालयों और सिलिकॉन वैली की गूगल, फेसबुक व माइक्रोसॉफ्ट जैसी शीर्ष कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कारोबारी निकायों की तरफ से दायर किया गया था.

Source : Bhasha

joe-biden Donald Trump us court h 1b rules
Advertisment
Advertisment