चीन (China) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका (US) के एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘‘निरर्थक’’ हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों से जुड़ी अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक एलिस जी वेल्स ने बुधवार को कहा था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत भारत से लगती सीमा पर लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है.
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के संबंध में एक सवाल के जवाब में वेल्स ने आरोप लगाया था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत लगतार ‘‘भड़काऊ और परेशान करने वाला रुख’’ अख्तियार किए हुए है. वेल्स ने बुधवार को एक कार्यक्रम में थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल से कहा था कि चीन का तरीका हमेशा आक्रामकता का रहा है, वह यथास्थिति को बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. उसे रोके जाने की आवश्यकता है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति स्थिर और स्पष्ट रही है. वेल्स की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी ‘‘राजनयिक की टिप्पणियां केवल निरर्थक हैं.’’ झाओ ने कहा कि चीन के सीमा प्रहरी दृढ़ता से चीन की सीमा की संप्रभुता और सुरक्षा की रखवाली करते हैं तथा भारत की ओर से होने वाली अतिक्रमण की गतिविधियों से मजबूती से निपटते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैनिक सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरिता की दृढ़ता से रक्षा करते हैं. हम भारतीय पक्ष से मिलकर काम करने, हमारे नेतृत्व की महत्वूपर्ण सहमति का पालन करने, हस्ताक्षिरत समझौतों का पालन करने, स्थिति को जटिल बनाने वाली एकतरफा कार्रवाइयों से बचने का आग्रह करते हैं.’’ झाओ ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि वे सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए ठोस प्रयत्न करेंगे. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा हो रही है जिससे अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है.’’
गत पांच मई को पेंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी. दोनों ओर से पथराव भी हुआ था. इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे. इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी.
सूत्रों के अनुसार इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे. वर्ष 2017 में डोकलाम त्रि-बिन्दु क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे दोनों परमाणु अस्त्र संपन्न देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी. दोनों देश कहते रहे हैं कि लंबित सीमा मुद्दे का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखना आवश्यक है.
Source : Bhasha
India-China सीमा मुद्दे पर अमेरिकी राजनयिक की टिप्पणियां ‘निरर्थक’ हैं: चीन
चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘‘निरर्थक’’ हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है.
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चीन (China) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर अमेरिका (US) के एक वरिष्ठ राजनयिक की टिप्पणियां ‘‘निरर्थक’’ हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा जारी है तथा वाशिंगटन का इससे कोई लेना-देना नहीं है. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों से जुड़ी अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक एलिस जी वेल्स ने बुधवार को कहा था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत भारत से लगती सीमा पर लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है.
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के संबंध में एक सवाल के जवाब में वेल्स ने आरोप लगाया था कि चीन यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तहत लगतार ‘‘भड़काऊ और परेशान करने वाला रुख’’ अख्तियार किए हुए है. वेल्स ने बुधवार को एक कार्यक्रम में थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल से कहा था कि चीन का तरीका हमेशा आक्रामकता का रहा है, वह यथास्थिति को बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. उसे रोके जाने की आवश्यकता है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चीन की स्थिति स्थिर और स्पष्ट रही है. वेल्स की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी ‘‘राजनयिक की टिप्पणियां केवल निरर्थक हैं.’’ झाओ ने कहा कि चीन के सीमा प्रहरी दृढ़ता से चीन की सीमा की संप्रभुता और सुरक्षा की रखवाली करते हैं तथा भारत की ओर से होने वाली अतिक्रमण की गतिविधियों से मजबूती से निपटते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैनिक सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरिता की दृढ़ता से रक्षा करते हैं. हम भारतीय पक्ष से मिलकर काम करने, हमारे नेतृत्व की महत्वूपर्ण सहमति का पालन करने, हस्ताक्षिरत समझौतों का पालन करने, स्थिति को जटिल बनाने वाली एकतरफा कार्रवाइयों से बचने का आग्रह करते हैं.’’ झाओ ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि वे सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए ठोस प्रयत्न करेंगे. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक माध्यम से चर्चा हो रही है जिससे अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है.’’
गत पांच मई को पेंगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी. दोनों ओर से पथराव भी हुआ था. इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे. इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी.
सूत्रों के अनुसार इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे. वर्ष 2017 में डोकलाम त्रि-बिन्दु क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे दोनों परमाणु अस्त्र संपन्न देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी. दोनों देश कहते रहे हैं कि लंबित सीमा मुद्दे का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखना आवश्यक है.
Source : Bhasha