भारतीय नागरिक को पाकिस्तान में दी गई मौत की सजा का विरोध अब वैश्विक स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी कूटनीतिज्ञों ने भी इस का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि पाकिस्तान में 26/11 हमले के मामले में तो सालों से सुनवाई टल रही है फिर कुलभूषण जाधव को कथित जासूसी के आरोप में सजा देने की इतनी जल्दबाजी क्यों है?
अमेरिका के विदेश मंत्रालय में दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एलिसा एरिस ने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा जाधव के मामले में इस बात पर हैरानी हुई कि उसके केस में इतने जल्दी सुनवाई कैसे हो गई। जबकि मुंबई हमलावरों के मामले में सुनवाई कई बार स्थगित हो चुकी है।
एरिस ने कहा, 'मुंबई मामले की सुनवाई करीब 9 साल से लटकी हुई है।' बता दें कि एरिस फिलहाल विदेश संबंध परिषद में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया के लिए सीनियर फेलो हैं।
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अटलांटिक काउंसिल में दक्षिण एसिया सेंटर के निदेशक भरत गोपालस्वामी का मानना है कि जाधव को जिन आधारों पर सजा सुनाई गई है वे बहुत कमजोर हैं। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तानी अधिकारियों ने जो कहानी बताई है उसमें तारतम्यता नहीं है।' उन्होंने कहा कि भारत की पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक कूटनीति के जवाब में पाकिस्तान की यह हरकत राजनीति से प्रेरित लग रही है।
वूडरो विल्सन में दक्षिण एशिया मामलों से जुड़े उपनिदेशक माइकल कुगलमैन ने कहा, 'जाधव की गिरफ्तारी और मौत की सजा की कहानी में पूरी तरह से अनिश्चितता है। इस मामले में एक पक्ष तो तय है कि पाकिस्तान भारत के उसके जमीन पर हस्तक्षेप को लेकर एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है।'
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय और व्हाइट हाऊस ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सजा सुनाए जाने के मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है।
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Source : News Nation Bureau