अमेरिकी लगातार अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी कर चीन को चुनौती दे रहा है. अमेरिकी नौसेना ने ओहियो क्लास की पनडुब्बी यूएसएस व्योमिंग से दो की संख्या में ट्राइडेंट डी5एलई परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया है. नौसेना ने बताया कि परीक्षण के दौरान ट्राइडेंट डी5एलई मिसाइल ने हर मिशन ऑब्जेक्टिव को पूरा किया है. अमेरिकी नौसेना के इस टेस्ट को चीन के लिए सीधे संदेश के तौर पर देखा जा रहा है. पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता कर दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु पनडुब्बी बनाने के बाद यह दूसरा मौका है जब अमेरिका ने सीधे चीन से चुनौती के लिए यह कदम उठाया है.
अमेरिकी नौसेना ने जिस मिसाइल का परीक्षण किया उसमें अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, परीक्षण के दौरान मिसाइल में लाइव परमाणु वॉरहेड्स नहीं लगे हुए थे. यूएसएस व्योमिंग (SSBN-742) से यह मिसाइल टेस्ट फ्लोरिडा के केप कैनावेरल के तट के पास किया गया. जानकारी के मुताबिक यह परीक्षण अमेरिकी नौसेना के शेकडाउन ऑपरेशन और DASO-31 का हिस्सा था.
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अमेरिका ने किया दूसरा सफल परीक्षण
ट्राइडेंट II (D5 और D5LE) सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल का यह 184वां सफल परीक्षण था. जानकारी के मुताबिक इससे पहले फरवरी 2021 में फ्लोरिडा के तट से ही ट्राइडेंट II (D5LE) परमाणु मिसाइल का अंतिम टेस्ट किया गया था. नौसेना ने बताया है कि पुरानी पड़ रही ट्राइडेंट II मिसाइलों की हाल में ही ओवरहॉलिंग की गई है. जिसके बाद ये मिसाइलें अब यूके वेंगार्ड-क्लास, यूएस कोलंबिया-क्लास के साथ ड्रेडनॉट-क्लास की फ्लीट में तैनाती के लिए तैयार हैं.
एक साथ 8 लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम
अमेरिका के पास 14 ओहियो-श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का बेड़ा है, जो अमेरिका के सक्रिय रणनीतिक थर्मो-न्यूक्लियर वारहेड का लगभग आधा हिस्सा ढोती हैं. प्रत्येक पनडुब्बी में 24 ट्राइडेंट मिसाइलें होती हैं जिनमें से हर एक में 8 परमाणु हथियार लगे होते हैं. इसका मतलब है कि एक ट्राइडेंट मिसाइल लॉन्चिंग के बाद आठ अलग-अलग लक्ष्यों पर परमाणु हमला कर सकती है. यह परमाणु मिसाइल साल 1990 से अमेरिकी और ब्रिटिश नौसेना में तैनात हैं.
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अदृश्य होकर काम करती हैं पनडुब्बियां
अमेरिकी ओहियो क्लास की पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों को खाने की वस्तुएं न लेनी हो तो वह कई महीनों तक पानी के नीचे गायब रह सकती है. इसमें खुद के ऑक्सीजन जेनरेटर्स लगे होते हैं, जो पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों के लिए ऑक्सीजन पैदा करते हैं. इसके अलावा परमाणु रिएक्टर लगे होने के कारण इनके पास ऊर्जा का अखंड भंडार होता है. जबकि परंपरागत पनडुब्बियों में डीजल इलेक्ट्रिक इंजन होता है. उन्हें इसके लिए डीजल लेने और मरम्मत के काम के लिए बार बार ऊपर सतह पर आना होता है. आकार में बड़ी होने के कारण यूएसएस ओहियो में 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें तैनात होती हैं. यह क्षमता अमेरिका के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में तैनात मिसाइलों की दोगुनी है.
HIGHLIGHTS
- दुनिया की सबसे घातक पनडुब्बियों में से एक
- एक साथ 8 लक्ष्यों को भेदने में सक्षम मिसाइल
- 1990 से नौसेना में शामिल हैं ओहियो पनडुब्बी