प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे से अमेरिका चिंतित है. रूस के साथ भारत के संबंधों पर चिंता जताते हुए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत के लिए रूस को दीर्घकालिक और विश्वसनीय साझेदार मानना अच्छा नहीं है. जब चीन और भारत को चुनने की बारी आएगी तो रूस नई दिल्ली की बजाए बीजिंग को चुनेगा. अमेरिकी एनएसए ने पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की. हमने भारत सहित सभी देशों को यह चीज स्पष्ट कर दी है.
चीन के करीब आ रहा है रूस
इसके अलावा, अमेरिकी एनएसए सुलिवन ने कहा कि रूस चीन का करीबी बनता जा रहा है. चीन असल में रूस का जूनियर पार्टनर बन रहा है. रूस कभी भी भारत की बजाए चीन का ले सकता है. प्रधानमंत्री मोदी भी चीन की आक्रामकता को लेकर चिंतित रहते हैं. सुलिवन ने स्वीकार किया कि रूस का भारत के साथ लंबा और एतिहासिक संबंध है, इसलिए ऐसा एक रात में तो नहीं होगा. यह एक लंबी प्रक्रिया है.
भारत के पास युद्ध रुकवाने की क्षमता: अमेरिका
अमेरिका भी अब भारत की ताकत पहचान चुका है. अमेरिका ने मान लिया है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. अमेरिका ने बुधवार को एक बयान जारी किया. बयान में उन्होंने कहा कि भारत के पास वह क्षमता है कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन पियरे ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि हमें लगता है कि रूस के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध हैं. भारत के पास वह क्षमता है कि वे रूस को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं. हालांकि, अंतिम फैसला पुतिन का ही होगा. पुतिन ने युद्ध शुरू किया था और अब वही युद्ध को रोकेंगे.
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Source : News Nation Bureau