अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने महाभियोग के मुकदमे को बुधवार को “छलावा” करार दिया तो वहीं डेमोक्रेटिक नेताओं ने उस दल की घोषणा की जो सीनेट में सुनवाई का नेतृत्व करेगी. प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी द्वारा सात सदस्यों वाले सुनवाई दल का खुलासा किया जाने के कुछ ही सेकंड बाद ट्रंप ने ट्वीट किया, “एक बार फिर आ गए, कुछ नहीं करने वाले डेमोक्रेट्स एक और छलावे के काम के साथ”.
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के महाभियोग मुकदमे में सीनेट में अभियोजन दल का नेतृत्व एडम शिफ करेंगे. वह सदन की खुफिया समिति के प्रमुख हैं. सदन की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने बुधवार को यह जानकारी दी. सीनेट में ट्रंप की सुनवाई मंगलवार को शुरू होने की उम्मीद है.
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच चल रही है. हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष एडम शिफ ने एक बयान में कहा था कि यूक्रेन के लिए मौजूदा शीर्ष अमेरिकी राजनयिक विलियम टेलर सहित दो अमेरिकी अधिकारी बुधवार को अपना बयान दर्ज कराएंगे. टेलर ने ही आरोप लगाए थे कि ट्रंप ने जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए कहा था, ताकि राजनीतिक रूप से राष्ट्रपति को फायदा हो.
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में भारतीय IT कंपनियों के साथ भेदभाव बढ़ा: रिपोर्ट
ट्रंप प्रशासन की अति प्रतिबंधात्मक नीतियों के चलते एच-1बी आवेदनों को खारिज किए जाने की दर 2015 के मुकाबले इस साल बहुत अधिक बढ़ी हैं. एक अमेरिकी थिंक टैंक की तरफ से किए गए अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नामी गिरामी भारतीय आईटी कंपनियों के एच-1बी आवेदन सबसे ज्यादा खारिज किए गए हैं. ये आंकड़ें उन आरोपों को एक तरह से बल देते हैं कि मौजूदा प्रशासन अनुचित ढंग से भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है.
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की ओर से किए गए इस अध्ययन के मुताबिक 2015 में जहां छह प्रतिशत एच-1बी आवेदन खारिज किए जाते थे, वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में यह दर बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई है. यह रिपोर्ट अमेरिका की नागरिकता और आव्रजन सेवा यानि यूएससीआईएस से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है.
उदाहरण के लिए 2015 में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और गूगल में शुरुआती नौकरी के लिए दायर एच-1बी आवेदनों में महज एक प्रतिशत को खारिज किया जाता था. वहीं 2019 में यह दर बढ़कर क्रमश: छह, आठ, सात और तीन प्रतिशत हो गई है. हालांकि एप्पल के लिए यह दर दो प्रतिशत ही बनी रही.
Source : Bhasha