अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की बैठक के कुछ दिनों बाद पेंटागन ने पाकिस्तान को 12 करोड़ 50 लाख डॉलर की सैन्य बिक्री को मंजूरी देने के अपने फैसले से कांग्रेस को अवगत कराया, जिसके तहत एफ-16 लड़ाकू विमानों पर नजर रखी जा सकेगी. पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता संबंधी अमेरिका की नीति में दरअसल कोई बदलाव नहीं आया है. अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगा रखी है.
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एक राजनयिक सूत्र ने कहा, पेंटागन की यह अधिसूचना पाकिस्तान के लिए फिर से सैन्य सहायता आरंभ किया जाना नहीं दर्शाती है. विमान के लिए 12 करोड़ 50 लाख डॉलर एक मामूली राशि है और यह लड़ाकू विमानों पर चौबीसों घंटे नजर रखने के लिए है. सूत्र ने बताया कि यह विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के तहत है जिसका अर्थ यह हुआ कि पाकिस्तान को इसके लिए भुगतान करना होगा. इसमें अमेरिकी करदाता का धन शामिल नहीं होगा. इस धन का उपयोग पाकिस्तान में एफ-16 विमानों के प्रयोग पर नजर रखने के लिए 60 अमेरिकी ठेकेदारों के वेतन के भुगतान के लिए किया जाएगा.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने के ट्रम्प के जनवरी 2018 के आदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अधिकारी ने कहा, जैसा कि राष्ट्रपति ने इस सप्ताह दोहराया था, हम हमारे संबंधों के व्यापक स्वरूप के अनुरूप कुछ सुरक्षा सहायता कार्यक्रम बहाल करने पर विचार कर रहे हैं. यह अधिसूचना पेंटागन की ओर से शुक्रवार को कांग्रेस को भेजी गई.
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उन्होंने कहा, इस प्रस्तावित बिक्री से विमानों के इस्तेमाल की चौबीसों घंटे निगरानी रखने वाले अमेरिकी कर्मियों की लगातार मौजूदगी के जरिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी की रक्षा होगी जिससे अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा, विदेश मंत्रालय ने एफ-16 कार्यक्रम को सहयोग करने के लिए तकनीकी सुरक्षा दल (टीएसटी) के लिए पाकिस्तान को 12 करोड़ 50 लाख डॉलर की अनुमानित कीमत की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री की मंजूरी देने का निर्णय लिया है.
बयान के अनुसार पाकिस्तान ने पाकिस्तान शांति मुहिम उन्नत एफ- 16 कार्यक्रम के सहयोग में अभियानों पर नजर रखने में मदद के लिए अमेरिकी सरकार से तकनीकी सहयोग सेवा जारी रखने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया है. उसने हाल में इसका इस्तेमाल भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले के बाद किया था. पेंटागन ने कहा कि इस सहयोग के तहत प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में मूलभूत सैन्य संतुलन नहीं बिगड़ेगा.