अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन और अन्य सुरक्षा मुद्दों पर सोमवार को हुई बहुप्रतीक्षित वार्ता में कोई प्रगति देखने को नहीं मिली. दोनों देशों के बीच सुरक्षा मुद्दों पर मतभेद बने हुए है. बातचीत के बाद कोई प्रगति नहीं हुई. लेकिन दोनों वार्ताकार देशों के प्रतिनिधयों ने इसे विफल नहीं बताया है. बहुप्रतीक्षित रणनीतिक वार्ता में प्रगति का कोई संकेत नहीं मिलने से यह कहा जा रहा है कि यह यूरोप के लिए चिंता का विषय है. जिनेवा में उच्च स्तरीय इस वार्ता में वाशिंगटन और मॉस्को दोनों से कम उम्मीदें लगाई गई थीं और इसी के अनुरूप दोनों देशों के राजनयिकों ने सफलता मिलने के किसी भी तरह के संकेत नहीं दिए.
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हालांकि, दोनों पक्ष में से किसी ने भी इसके पूरी तरह विफल होने की बात भी नहीं कही, लेकिन यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमा पर रूस की सैन्य तैनाती को लेकर बढ़ता चिंताजनक गतिरोध सुलझाने की संभावना भी नहीं जताई गई. पश्चिमी देश इस सैन्य तैनाती को यूरोपीय सुरक्षा के लिए बुनियादी खतरे के रूप में देखता है. वहीं, रूस और अमेरिका के संबंधों में तनाव उत्पन्न करने वाले संभवत: कम गंभीर मुद्दों पर भी बातचीत आगे बढ़ने के किसी तरह के कोई संकेत नहीं मिले.
मॉस्को नाटो के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने की गारंटी के साथ ही पूर्वी यूरोप में सैन्य गठबंधनों की तैनातियों को वापस लेने की भी मांग कर रहा है जबकि वाशिंगटन इस मांग को सिरे से खारिज कर रहा है.
दोनों पक्षों के अपनी-अपनी बात पर अड़े रहने और यूक्रेन का भविष्य अधर में लटके रहने के बीच रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि नाटो के विस्तार को लेकर मुख्य मांग पर “कोई प्रगति” नहीं हुई हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया, “यूक्रेन पर आक्रमण की हमारी कोई मंशा नहीं है.”