मिशन शक्ति (Mission Shakti) के बाद भले ही भारत (India) दुनिया के शीर्ष देशों की कतार में खड़ा हो गया है लेकन अमेरिका (America) के माथे पर इससे बल पड़ गए हैं. अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती बादशाहत से अमेरिका इस कदर चिंतित हो उठा है कि वह इस एंटी-सैटेलाइट टेस्ट का अध्ययन करने में जुट गया है. भारत ने बुधवार को धरती से 300 किमी दूर लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ LEO) में एक सैटेलाइट को ए-सैट मिसाइल से मार गिराया था. इस काम को महज 3 मिनट में अंजाम दिया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को ऐलान किया था कि ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है.
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अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री पैट्रिक शैनहन ने दुनिया के ऐसे किसी भी देश को चेतावनी दी जो भारत जैसे एंटी-सैटेलाइट परीक्षण के लिए विचार कर रहा है. शैनहन ने कहा कि हम अंतरिक्ष में मलबा छोड़कर नहीं आ सकते. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सैटेलाइट नष्ट होने के बाद कचरे के खतरे से इनकार किया. मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि टेस्ट लो ऑर्बिट में किया गया, लिहाजा कचरा खुद ब खुद खत्म हो जाएगा और धरती पर गिर जाएगा.
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शैनहन के मुताबिक- हम सभी अंतरिक्ष में रह रहे हैं, लिहाजा यहां मलबा इकट्ठा न करें. अंतरिक्ष वह जगह है, जहां हम कारोबार कर सकते हैं. स्पेस की वह जगह है जहां लोगों को कुछ भी ऑपरेट करने की आजादी होना चाहिए. हालांकि रिपोर्टर्स से बात करने के दौरान शैनहन ने भारत के टेस्ट से कचरा बढ़ने की बात नहीं कही.
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रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आप अंतरिक्ष को अस्थिर नहीं कर सकते. हम वहां (अंतरिक्ष में) मलबे की समस्या खड़ी नहीं कर सकते, जैसा ए-सैट परीक्षणों में हो रहा है. दूरगामी प्रभाव के लिए हमें विचार करना चाहिए.
शैनहन ने अंतरिक्ष में दुनिया के बढ़ रहे दखल के मद्देनजर कुछ नियम बनाने को कहा. उनके मुताबिक- अंतरिक्ष में कुछ स्थापित या कुछ खत्म करने के लिए नियम होने चाहिए. इनका न होना चिंताजनक है. इसलिए कैसे लोग तकनीक का परीक्षण करते हैं और विकसित करते हैं, यह अहमियत रखता है. मैं ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा करूंगा कि जो परीक्षण के चलते किसी और की संपत्ति को खतरे में नहीं डाले.
Source : Agencies