भारतीय मूल की निक्की हेली को संयुक्त राष्ट्र का राजदूत नियुक्त करने के लिए अमेरिकी सीनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद इसे भारत के लिए बेहद ख़ास मौका माना जा रहा है।
अमेरिकी प्रशासन में निक्की को कैबिनेट स्तर का पद मिलना अमेरिकी राजनीति में भारत मूल के लोगों के लिए एक मील का पत्थर है।
सीनेट में हेली के समर्थन में 96 वोट पड़े जबकि केवल चार डेमोकेट्र्स ने उनके विरोध में वोट दिया। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत का पद विदेश सचिव के पद के बाद दूसरा सबसे जिम्मेदारी वाला पद माना जाता है और इसके लिए सीनेट की मंजूरी जरूरी है।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के कुछ घंटों बाद सीनेट से निक्की को पहले भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक को कैबिनेट स्तर का पद दिए जाने की ऐतिहासिक मंजूरी मिल गई।
वोटिंग से पहले सीनेट फॉरन रिलेशन्स कमेटी (एसएफआरसी) के वरिष्ठ डेमोकेट्र बेन कार्डिन ने कहा कि अमेरिका के प्रवासियों के इतिहास में हेली सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण कैरोलिना में भारतीय प्रवासियों की बेटी हेली को बचपन में पक्षपात का सामना करना पड़ा था, लेकिन वह इस पर जीत हासिल करके राज्य की गवर्नर बनने में सफल रहीं।
हेली के विरोध में वोट करने वाले चार डेमोक्रेट्स में से एक क्रिस कून्स ने कहा कि हेली को कूटनीति या विदेशी नीति का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वह उनकी नियुक्ति के खिलाफ हैं, क्योंकि उन्हें 'अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उच्चस्तरीय विशेषज्ञता हासिल नहीं है।'
कार्डिन ने क्रिस के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि हेली को अन्य लोगों को समझाने और गठबंधन कायम करने की कुशलता हासिल है, जो कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी नीतियों और हितों को समर्थन दिलाने के मद्देनजर एक विशेष गुण है।
2010 में रूढ़िवादी दक्षिणी राज्य की पहली महिला और बाबी जिंदल के बाद दूसरी गर्वनर नियुक्त होने वाली हेली ने अमेरिकी चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप का विरोध किया था, लेकिन ट्रंप ने चुनाव के बाद उन्हें राजदूत नियुक्त किया।
Source : IANS