भारतीय समुदाय के एक शीर्ष थिंक टैंक ने अमेरिकी सीनेट से वह लंबित विधेयक पारित करने की अपील की है जिसमें ग्रीन कार्ड या कानूनी स्थायी निवास दस्तावेज जारी करने को लेकर देशों के लिए निर्धारित सीमा हटाने की बात की गई है. थिंक टैंक का कहना है कि ऐसा नहीं किए जाने के कारण अमेरिका से प्रतिभाशाली लोग बाहर जा रहे हैं और इसका अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस)’ ने अमेरिकी सीनेटरों को सौंपे गए एक नीति पत्र में कहा कि देश के आधार पर संख्या निर्धारित होने के कारण स्थायी निवास के आवेदनों को आगे बढ़ाने में अत्यधिक देरी होती है जिससे अमेरिका को राजस्व का नुकसान होता है और वह बाजार में नेतृत्व और प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त से पीछे रह जाता है.
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एफआईआईडीएस ने कहा कि काम के आधार पर आव्रजन अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उचित प्रतिभा को आकर्षित करने का अच्छा तरीका है लेकिन स्थायी निवास की प्रक्रिया में देश के आधार पर सीमा संबंधी वार्षिक नियमन इसे रोक रहा है. एफआईआईडीएस ने सीनेटरों से अपील की कि वे कार्य वीजा पर दक्ष आव्रजकों के लिए देश के आधार पर सीमा हटाए, कुशलता के आधार पर आव्रजन को परिवार के आधार पर आव्रजन से अलग देखें और देश के आधार पर सीमा की कुल गणना में प्राथमिक वीजा धारकों के आश्रितों की गिनती को समाप्त करें.
इसमें कहा गया है कि कुशल विशेषज्ञ आव्रजकों को देश में रहने और उसकी अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित कर कानून प्रावधानों में योग्यता आधारित दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है. थिंक टैंक ने कहा कि ग्रीन कार्ड जारी करने में देरी होने के कारण प्रतिभाशाली लोग देश से बाहर जा रहे हैं. उदाहरण के लिए अमेरिका में कई भारतीय आव्रजक उद्यमी, भारत में ही सफल स्टार्टअप शुरू करने के लिए अपने देश लौट गए.
Source : PTI