नाटो की सदस्यता लेने की कोशिश का खामियाजा यूक्रेन अपने ऊपर रूसी हमले के रूप में भुगत रहा है. रूस ने अपने अन्य पड़ोसी देशों से भी कहा था कि वो नाटो से दूरी बनाकर रखें. लेकिन फिनलैंड और स्वीडन ने रूस की एक नहीं सुनी. रूसी धमकियों के बीच उन्होंने नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन भी दे दिया, जिसको अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी भी मिल गई. इससे पहले, स्वीडन की नाटो में शामिल होने की कोशिश को तुर्की ब्लॉक कर रहा था, लेकिन अमेरिका के मनाने पर वो मान गया था. ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी इन दोनों देशों की सदस्यता के लिए जरूरी था. जो अब हो चुका है. ऐसे में इन दोनों के नाटो में शामिल होने की महज औपचारिकता भर बाकी रह गई है. हालांकि खर्चे, सैन्य तैनाती और उसमें हिस्से को लेकर कई मुद्दों पर काम किया जाना बाकी है, लेकिन इन सबमें सबसे अहम पड़ाव ये दोनों ही देश पार कर गए हैं.
स्कैंडिनेवियाई देशों के नाटो में शामिल होने से रूस को खतरा?
स्वीडन, फिनलैंड और नॉर्वे. ये तीनों ही देश स्कैंडिनेवियाई देश माने जाते हैं. नॉर्वे इस महत्वपूर्ण सैन्य गठबंधन नाटो (North Atlantic Treaty Organization) के फाउंडिंग मेंबर्स में शामिल था. फिनलैंड और स्वीडन ने खुद को अब तक किसी भी सैन्य गठजोड़ का हिस्सा बनाने से परहेज रखा था. लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दोनों ही देशों में जनमत संग्रह कराए गए, जिसमें जनता ने भारी बहुमत से दोनों ही देशों को नाटो में शामिल होने की मंजूरी दी थी. जिसके बाद दोनों ही देशों की संसद में इस बाबत घोषणाएं की गई. अब अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी मिलने के बाद से ये प्रक्रिया बेहद तेज हो जाएगी. इन तीनों ही स्कैंडिनेवाई देशों की सीमाएं रूस से मिलती हैं और रूस के किसी न किसी हिस्से से इनका संपर्क है. सबसे बड़ी सीमा फिनलैंड और रूस की है. ऐसे में फिनलैंड में नाटो सेनाओं और हथियारों की तैनाती से रूस अपने ऊपर खतरा महसूस करता है. यही वजह है कि वो पड़ोसी देशों को नाटो में शामिल होने से रोकने के लिए हर कदम उठाता रहता है, इसमें धमकी देना भी शामिल है.
ये भी पढ़ें: नैन्सी पेलोसी के दौरे के बाद 21 चीनी लड़ाकू जेट ताइवान वायु सीमा में घुसे
एक के मुकाबले 95 वोट से पास हुआ बिल
अमेरिकी कांग्रेस में इस मुद्दे पर वोटिंग की गई. इस मामले में सिर्फ एक कांग्रेस सदस्य ने विरोध में वोट दिया, जबकि समर्थन में 95 वोडट पड़ें. जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन चाहते थे कि जल्द से जल्द दोनों ही देशों को नाटो में शामिल किया जाए, इसके लिए उन्होंने कांग्रेस की मंजूरी के लिए ये बिल भेजा था. ये बिल जुलाई में ही कांग्रेस के पास भेज दिया गया था, जिसे पास होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता था. लेकिन इसके पक्ष में एक वोट को छोड़कर सभी के वोट गए.
HIGHLIGHTS
- नाटो की सदस्यता के और करीब पहुंचे स्वीडन-फिनलैंड
- अमेरिकी कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत से पास किया बिल
- जुलाई में राष्ट्रपति ने कांग्रेस के पास बेजा था बिल