अमेरिका ने सोमवार को ईरान पर 'अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध' लागू कर दिया. जबकि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने संकल्प लिया कि वह इन प्रतिबंधों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपना कच्चा तेल बेचते रहेंगे. रूहानी ने कहा, 'हम बड़े ही आसानी से प्रतिबंध को तोड़ देंगे और हम ऐसा करेंगे.' रूहानी ने ईरान पर प्रतिबंध लागू होने के तुरंत बाद यह बात कही.
बीबीसी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 2015 के परमाणु समझौते के तहत ईरान पर से हटाए गए सभी प्रतिबंधों को बहाल कर दिया. इसके तहत ईरान और उसके साथ व्यापार करने वाले देशों को निशाना बनाया गया है.
ईरान ने यूरोपीय संघ (ईयू) समेत दुनिया की छह बड़ी शक्तियों के साथ परमाणु समझौता किया था, जिसके तहत उसने उसके तेल की बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने पर अपने परमाणु कार्यक्रम रोकने पर सहमति जताई थी.
ईरान पर क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने और हिंसा बढ़ाने का आरोप लगाते हुए वाशिंगटन ने आठ मई को परमाणु समझौता समाप्त कर दिया था. वाशिंगटन इसे अमेरिका द्वारा किया जाने वाला सबसे खराब एकपक्षीय समझौता करार दिया.
प्रतिबंध सूची में 700 से अधिक लोगों, संस्थाओं, जहाजों और विमानों सहित प्रमुख बैंकों, तेल निर्यातकों और शिपिंग कंपनियों को शामिल किया गया है.
अमेरिका ने कहा है कि वह साइबर हमलों, बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों और मध्य पूर्व में आतंकवादी समूहों और मिलीशिया के लिए समर्थन सहित तेहरान की सभी 'हानिकारक' गतिविधियों को रोकना चाहता है.
अमेरिका ने आठ देशों को फिलहाल ईरान से तेल के आयात की मंजूरी दी है. इनके नाम नहीं बताए गए हैं, लेकिन इनमें भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे अमेरिकी सहयोगियों के शामिल होने की बात कही जा रही है.
रूहानी ने आर्थिक मामलों के अधिकारियों की एक बैठक में कहा, 'अपनी जनता और समाज की एकता के बल पर हम अमेरिका को बता देंगे कि उन्हें ईरान के लिए ताकत, दबाव और धमकी की भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'अमेरिकी अधिकारी समझने लगे हैं कि वे ईरान के तेल बाजार की जगह नहीं ले सकते हैं.' उन्होंने यह भी कहा, 'उनके द्वारा कुछ देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट नहीं देने के बावजूद हम अपना तेल बेचने में सक्षम हैं और हमारे पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त क्षमता है.'
प्रेस टीवी रिपोर्ट के मुताबिक, रूहानी ने कहा कि यूरोप भी अमेरिकी नीतियों से नाराज है. उन्होंने कहा, 'आज हम अकेले नहीं हैं, जो अमेरिकी नीतियों से नाराज हैं. यूरोपीय देशों के कारोबारी और सरकारें भी अमेरिकी नीतियों से नाराज हैं.' उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है.
ईरान की सेना ने कहा कि वह ईरान की क्षमता साबित करने के लिए वायुसेना का अभ्यास करेगी.
अमेरिकी मध्यावधि चुनाव के तहत एक प्रचार अभियान रैली के लिए रवाना होने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईरान पहले से ही उनके प्रशासन की नीतियों के कारण दिक्कतों से जूझ रहा है.
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ट्रंप ने कहा, 'ईरान पर लगाया गया प्रतिबंध बहुत कठोर है. हमने सबसे कड़ा प्रतिबंध लगाया है. और हम देखेंगे कि ईरान के साथ क्या होता है. लेकिन वे बहुत अच्छा नहीं कर रहे हैं, यह मैं आपको बता सकता हूं.'
इस बीच, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने प्रतिबंधों का विरोध किया है. ये उन पांच देशों में शामिल हैं, जो अभी भी ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इन्होंने यूरोपीय कंपनियों को ईरान के साथ वैध कारोबार में मदद करने का वादा किया है. साथ ही, इन्होंने एक वैकल्पिक भुगतान तंत्र बनाने की बात कही है, जिससे अमेरिकी दंड का सामना किए बगैर कंपनियों को व्यापार में मदद मिलेगी.
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हजारों ईरानियों ने रविवार को 'अमेरिका मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए बातचीत के आह्वान को खारिज करने की मांग की.
यह इत्तेफाक की बात है कि ये रैलियां चार नवंबर, 1979 को अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले की बरसी पर निकाली गई थीं. चार नवंबर, 1979 को दूतावास में 52 अमेरिकी नागरिकों को बंधक बना लिया गया था. उसी समय से दोनों देशों में शत्रुता बनी हुई है.
Source : IANS