पाकिस्तान (Pakistan) में पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ (Parwez Musharraf) को संविधान निलंबित कर देश में आपातकाल लगाने के मामले में विशेष अदालत द्वारा मौत की सजा दिए जाने के बाद, देश की मीडिया में प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा (Asif Saeed Khosa) के बारे में विवादित रिपोर्ट आई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस रिपोर्ट का सख्ती से खंडन किया है. पाकिस्तानी मीडिया के एक हिस्से में मंगलवार को इस आशय की रिपोर्ट आई कि प्रधान न्यायाधीश खोसा ने कुछ पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उन्हें 'मुशर्रफ मामले में कई मौकों पर लालच दी गई, अहम पदों की पेशकश की गई, दाना डाला जाता है लेकिन मैंने दाना नहीं चुगा. इंसाफ करें तो फिर किसी बात का डर नहीं रहता. मुशर्रफ का मामला एकदम स्पष्ट था. उन्हें बचाव के कई मौके दिए गए. यह लोग मामले को लटकाना चाहते थे.'
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बयान जारी कर मीडिया के एक हिस्से में दिखाई जा रही इन बातों को पूरी तरह से गलत बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "गुमराह करने वाली, संदर्भ से कटीं बातें अज्ञात सूत्रों के हवाले से लेकिन प्रधान न्यायाधीश के नाम पर कुछ टीवी चैनलों और अखबारों में आई हैं. इन रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि प्रधान न्यायाधीश खुद निजी तौर पर विशेष अदालत द्वारा सुने जा रहे इस मामले में दिलचस्पी ले रहे थे. यह साफ किया जा रहा है कि मुशर्रफ मामले में प्रधान न्यायाधीश ने अदालती आदेशों के अलावा और कोई आदेश नहीं दिया."
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन मीडिया संस्थानों ने यह रिपोर्ट प्रसारित या प्रकाशित की है, वे अदालत का खंडन भी उसी रूप में दिखाएं और प्रकाशित करें जिस तरह उन्होंने यह रिपोर्ट दिखाई या प्रकाशित की थी.
गौरतलब है कि न्यायाधीश खोसा पाकिस्तान में सर्वाधिक मजबूत पकड़ रखने वाली सेना से जुड़े मामलों में सख्त फैसले लेने से पीछे नहीं रहे हैं. उन्होंने सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार में भी सरकार की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और बाद में इस शर्त के साथ उन्हें छह महीने तक पद पर और बने रहने दिया कि इन छह महीनों के बीच संसद सैन्य प्रमुख के सेवा विस्तार आदि पर स्पष्ट कानून बनाए.
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खोसा दो दिन में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. न्यायमूर्ति गुलजार अहमद 21 दिसंबर को पाकिस्तान के नए प्रधान न्यायाधीश की शपथ लेंगे.
Source : आईएएनएस