जैसे-जैसे मृतकों की संख्या आगे बढ़ती जा रही है, अमेरिकी मीडिया इस बात पर विचार करने लगा है कि अमेरिका ने (Corona Virus) महामारी के खिलाफ लड़ने में कैसे कीमती समय बर्बाद किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donad Trump) को निशाना बनाते हुए'वाशिंगटन पोस्ट' ने कोरोनो वायरस संकट आने के पहले 70 दिनों में अमेरिका के विफल अनुभव और इसके मूल कारणों के बारे में एक लेख जारी किया, जिसमें अमेरिकी सरकार के अधिकारियों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, खुफिया अधिकारियों और अन्य लोगों के साथ 47 साक्षात्कार शामिल हैं.
यह भी पढ़ेंः कल सुबह 10 बजे फिर से देश को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कर सकते हैं बड़ा ऐलान
कई चीजों ने डाली कोरोना से लड़ाई में बाधा
लेख में कहा गया है कि सभी चरम उपायों के बावजूद, और यह भी माना जाता है कि अमेरिका हमेशा महामारी से निपटने के लिए सबसे अच्छी तरह से तैयारी करने वाला देश है, लेकिन अतत: कोरोना वायरस के सामने भयंकर रूप से हार गया. अब तक अमेरिका में कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक रही है. लेख का मानना है कि आंतरिक कलह, क्षेत्रीय विवाद और नेतृत्व में अचानक परिवर्तन ने व्हाइट हाउस के महामारी से लड़ाई में बाधा डाली.
यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र के पालघर में सैनिटाइजर-हैंडवॉश बनाने वाली फैक्ट्री में धमाका, दो की जान गई
शुरुआती परीक्षण में विफल रहा ट्रंप प्रशासन
लेख के मुताबिक, प्रारंभिक सूचना मिलने के 70 दिनों के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप को आखिरकार यह एहसास हुआ कि कोरोना वायरस इतना घातक व भयानक है, जो आसानी से हजारों लोगों को मार सकता है. लेख में कहा गया है कि सबसे गंभीर विफलता यह है कि नैदानिक परीक्षणों को विकसित करने के शुरुआती प्रयास विफल रहे. इस तरह के परीक्षणों को पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर किया जा सकता था, ताकि संबंधित एजेंसियों को बीमारी के प्रकोप का पता लगाने और उसे नियंत्रित करने के लिए संगरोध उपाय करने के मौके मिलें.
यह भी पढ़ेंः 24 को देखा जाएगा रमजान का चांद, 25 को पहला रोजा, मौलाना खालिद रशीद ने जारी की एडवाइजरी
ट्रंप नहीं रहे गंभीर
लेख में कहा गया कि हफ्तों के लिए, ट्रंप ने इस संकट के बारे में कुछ नहीं कहा. साथ ही उन्होंने अपनी सरकार में खुफिया अधिकारियों और वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की चेतावनी को भी खारिज कर दिया. ट्रंप अमेरिका में बड़े पैमाने पर फैली महामारी पर चिंतित नहीं हैं. तथ्यों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शिथिलता की कीमत काफी महंगी है. वेंटिलेटर, मास्क और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों के भंडारण का अवसर चूक गया. मार्च के अंत में सरकार ने 10,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया, जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और राज्यपालों की मांग से बहुत कम है.