कोरोना (Corona) से जंग में भारत को देसी वैक्सीन देने वाली कंपनी भारत बोयोटेक (Bharat Biotech) के लिए अच्छी खबर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की मंजूरी का इंतजार कर रही कंपनी की कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट ने भी असरदार माना है और इसकी जमकर तारीफ की है. डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) के ट्रायल का डाटा अच्छा लग रहा है. चीफ साइंटिस्ट की मुहर के बाद अब कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. वैक्सीन की उपलब्धता के लिए बने वैश्निक संगठन गावी पर प्रकाशित एक लेख में कोवैक्सीन को उम्मीद जगाने वाली वैक्सीन बताया गया है.
कोवैक्सीन को मंजूरी का है इंतजार
कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी का इंतजार है. इस कड़ी में स्वामीनाथन ने कहा कि प्री-सबमिशन बैठक 23 जून को हुई थी और अब उसके ट्रायल के डेटा पैकेट को इकट्ठा किया जा रहा है. गावी की वेबसाइट पर प्रकाशित इस लेख में कोवैक्सीन को हाई-एफिकेसी रेट वाली वैक्सीन बताया गया है. साथ ही लेख यह भी स्पष्ट करता है कि कोवैक्सीन से वैक्सीनेशन के बाद बुखार और शरीर दर्द जैसे सामान्य लक्षण उभरते हैं. इससे कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक नहीं देखा गया है. भारत के अलावा 15 देशों में कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज अप्रूवल मिल चुका है. इनमें जिंबाब्वे, ईरान, मेक्सिको, फिलपिन्स, ग्वातेमाला और बोत्सवाना जैसे देश शामिल हैं.
यह भी पढ़ेंः UP के 9 जिलों को आज पीएम मोदी देंगे मेडिकल कॉलेज की ऐतिहासिक सौगात
गावी में छपे लेख में तारीफों के कसीदे
लेख कहता है कि कोवैक्सीन पारंपरिक तरीके से बनी है. यानी इसमें डेड वायरस को शरीर के अंदर डाला जाता है, जिससे शरीर वायरस को पहचानता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. इसे इनैक्टिवेटेड होल वायरस वैक्सीन कहा जाता है. गौरतलब है कि मई में भारत बायोटेक ने इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए डब्ल्यूएचओ के पास आवेदन दिया था. कहा गया था कि वैक्सीन को जुलाई-सितंबर तक सूची में शामिल किया जा सकता है. 23 जून को डब्ल्यूएचओ और भारत बायोटेक के बीच एक प्री-सबमिशन मीटिंग हुई. एक बार भारत बायोटेक कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का पूरा डाटा जमा कर देता है, तो डोजियर पूरा हो जाएगा और फिर संगठन इसकी समीक्षा करेगा. कंपनी को उम्मीद है कि कोवैक्सीन की आवेदन की समीक्षा प्रक्रिया एफिकेसी स्टडी डाटा के जमा किए जाने के बाद जुलाई में शुरू हो जाएगी.
क्या है गावी
गावी कम और मध्यम आय वाले देशों को वैक्सीन मुहैया कराने के लिए पब्लिक-प्राइवेट ग्लोबल हेल्थ पार्टनरशिप है. यह तय करता है कि दुनियाभर में वैक्सीन कार्यक्रम अमीर देशों के अलावा गरीब और मध्यम आय वाले देशों तक भी पहुंचे.
HIGHLIGHTS
- कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट ने भी असरदार माना
- चीफ साइंटिस्ट की मुहर के बाद अब डब्ल्यूएचओ की मंजूरी की उम्मीद
- भारत के अलावा 15 देशों में कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज अप्रूवल