अमेरिकी प्रशासन का कोई बडा अधिकारी किसी देश में जाना चाहे और उस देश की सरकार उसे आने ना दे ऐसा बहुत ही कम होता होगा. खास कर नेपाल जैसे छोटे देश में तो अमेरिकी सरकार कभी सोच भी नहीं सकती है कि उनके किसी बडे अधिकारी को भ्रमण से ठीक पहले रोक दिया जाए. लेकिन नेपाल सरकार ने यह सचमूच किया है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डाईरेक्टर का नेपाल दौरा रोक देने का खुलासा हुआ है. सीआईए के डाइरेक्टर विलियम्स जोसेफ बर्न्स का दो दिनों का नेपाल दौरा प्रस्तावित था. 15-16 फरवरी को विलियम्स जोसेफ को काठमांडू का दौरा करना था। सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थी. हवाई रूट के लिए अनुमति ले ली गई थी. नेपाल में किन नेताओं और अधिकारियों से मिलना है इसके लिए समय तय कर लिया गया था लेकिन दौरे से ठीक पहले ही प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने सीआईए के डाइरेक्टर के भ्रमण को रद्द करने को कह दिया.
नेपाल सरकार के तरफ से अचानक ही हुए इस फैसले से काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास तो स्तब्ध है ही वाशिंग्टन में आमेरिकी प्रशासन भी हैरान है कि आखिर नेपाल सरकार ने इस तरह का फैसला क्यों और किसके दबाब में लिया? दरअसल नेपाल में भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा के दो दिनों के भ्रमण के अगले ही दिन यानि 15 फरवरी की शाम को सीआईए के डाईरेक्टर विलियम्स जोसेफ बर्न्स को काठमांडू आना था. सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी खुफिया विभाग सीआईए के प्रमुख दो दर्जन प्रतिनिधियों के साथ काठमांडू पहुंचने वाले थे.
त्रिभुवन अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल के सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल यूएस एयरफोर्स के सी ग्लोबमास्टर 3 बोइंग विमान से उतरने वाले थे. विमानस्थल के सूत्रों से मालूम चला कि अमेरिका के तरफ से तीन सी ग्लोबमास्टर बोइंग विमानों के लैंडिंग और पार्किंग की परमिशन ली गई थी, जिस पर सीआईए के डाइरेक्टर और उनके साथ आने वाले प्रतिनिधियों के लिए गाडी भी अमेरिका से ही आना था.
नेपाल के विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक सीआईए के डाइरेक्टर बर्न्स के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, नेपाली सेना के प्रधान सेनापति सहित कुछ अन्य राजनीतिक दल के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात तय की गई थी. लेकिन अमेरिकी अधिकारी के भ्रमण के ऐन वक्त से ठीक पहले प्रधानमंत्री ने इजाजत नहीं दी. पीएमओ के सूत्रों के मुताबिक नेपालके प्रधानमंत्री प्रचण्ड ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के प्रमुख के भ्रमण से गलत संदेश जाने के कारण उसे रद्द करने का आदेश दिया था. दरअसल नेपाल में इस समय राष्ट्रपति चुनावों की सरगर्मी है. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नेपाल का सत्तारूढ गठबन्धन टूटने के कगार पर पहुंच गया है. नेपाल में राजनीतिक परिस्थिति ऐसी बन गई है कि दो महीने पहले ही बना सत्तारूढ गठबन्धन किसी भी समय टूट सकता है.
ऐसे में नेपाल में विदेशी खुफिया एजेंसी के प्रमुख के दौरा का असर राष्ट्रपति के चुनाव पर पडने और उससे काफी आलोचना होने के कारण भ्रमण को रोके जाने की बात पीएमओ के तरफ से कही जा रही है. नेपाल में पिछले दो महीने में अमेरिकी सरकार के चार मंत्रियों का दौरा हो चुका है। जिसको नेपाल में अमेरिकी हस्तक्षेप के रूप में व्याख्या की जा रही है.
नेपाल सरकार के इस फैसले के बाद काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास स्तब्ध है। वाशिंगटन में बाईडेन प्रशासन हैरान और परेशान है कि आखिर नेपाल सरकार ने उसके इतने बडे अधिकारी का दौरा क्यों रद्द कर दिया. नेपाल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी के प्रमुख के दौरे को अत्यन्त ही गोपनीय रखा गया था. यहां तक कि पीएमओ तक को बहुत बाद में बताया गया कि अमेरिका से किसका दौरा होने वाला है. पहले सिर्फ अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के किसी मंत्री के दौरे की बात कही गई ताकि दौरे को अत्यन्त ही गोपनीय रखा जा सके.
यह भी पढ़ें - बाइडेन का पुतिन को चैलेंज- यूक्रेन पर जीत हासिल नहीं कर पाएगा रूस
लेकिन काठमांडू में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले चीन की बढती सक्रियता को देखते हुए अमेरिकी दूतावास आगबबूला हो गया है. नेपाल के राष्ट्रपति चुन२व में उम्मीद्वार के नामांकन भरने के दिन से 48 घंटे पहले चाईनीज राजदूत की सक्रियता की काफी आलोचना हो रही है. बुधवार को नेपाल में चाईनीज राजदूत चेन सॉंग ने सुबह प्रधानमंत्री प्रचण्ड से, दोपहर को पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल से और शाम को के पी ओली से मुलाकात की थी. बुधवार को ही एक चाईनीज डेलीगेशन काठमांडू भी पहुंचा है.
चीन की इसी सक्रियता के कारण अमेरिकी दूतावास को लगता है कि चीन के ही दबाब में अमेरिकी उच्च अधिकारी का भ्रमण रोका गया है.