पाकिस्तान (Pakistan) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत के साथ तनाव बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. दरअसल, कुछ ही दिन पहले भारत (India) ने उससे कहा था कि वह नयी दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या में 50 प्रतिशत कटौती करे. पाकिस्तान विदेश विभाग की प्रवक्ता आयशा फारूकी ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तानी दूतावास में कर्मचारियों की संख्या घटा कर आधा करने का निर्णय कश्मीर मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिये किया गया प्रयास है.
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उन्होंने कहा, 'भारत के साथ तनाव बढ़ाने की पाकिस्तान की कोई इच्छा नहीं है. हमने हमेशा संयम के साथ प्रतिक्रिया की है. हालांकि, इस्लामाबाद में भारतीय अधिकारियों द्वारा राजयनिक नियमों का उल्लंघन किया जाना और भारत का लगातार आक्रामक रवैया, क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है.’ दूसरी ओर पाकिस्तान लगातार विश्व समुदाय को समझाने का प्रयास कर रहा है कि भाजपा सरकार की गैर जिम्मेदाराना नीतियां क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खतरे को बढ़ा रही है.
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कोरोना वायरस के संक्रमण एवं टिड्डी दल के खते पर भारत के सहयोग की संभावना के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि वैश्विक महामारी एक ऐसी चुनौती है जो सभी देशों के लिये एक समान है और इसके लिये सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. फारूकी ने दावा किया कि भारत ने पिछले छह महीने में 1440 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है, जिसमें 13 लोगों की मौत हुयी है और 104 निर्दोष लोग घायल हुये है. प्रवक्ता ने कहा कि हम नागरिकों को निशाना बनाये जाने की घटना की निंदा करते हैं.
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उल्लेखनीय है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को नयी दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के उप उच्चायुक्त को तलब किया था और इस निर्णय से अवगत कराया था . पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों के जासूसी गतिविधियों में शामिल रहने तथा आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संपर्क रखने के कारण यह कदम उठाया गया. मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों को इन गतिविधियों में रंगे हाथ पकड़ा गया और उसके बाद 31 मई को दोनों को देश छोड़ने के लिये कह दिया गया.
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