भारत ने चीन के नए 'लैंड बाउंड्री कानून' की कड़े शब्दों में आलोचना की है. भारत सरकार का कहना है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर यथास्थिति बदलने के कदम को सही ठहरने में लगा हुआ है। यह कानून चीन का एकतरफा रुख है. भारत का कहना है कि चीन इस तरह का कानून बनाकर दोनों पक्षों के बीच की मौजूदा व्यवस्था को बदल नहीं सकता है क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान नहीं हो सका है. कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 'इससे यह साबित होता है कि 1963 में चीन-पाकिस्तान समझौते, जिसमें पाकिस्तान ने अक्साई चीन की शाक्सगम घाटी चीन के हवाले कर दी थी; उसे भी भारत ने नकार दिया है.
भारत पूरे जम्मू-कश्मीर पर अपना दावा करता आया है. इसमें अक्साई चीन भी शामिल है. वो पाकिस्तान-चीन के समझौते को गलत बताता रहा है. चीन नए कानून के जरिए विवादित इलाकों में निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बना रहा है. चीन ने अप्रैल 2020 के बाद से एलएसी की स्थिति में बदलाव किया है. विवादित इलाकों में चीन पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) की मौजूदगी को अब नए कानून के जरिए सही ठहरा सकता है.
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भारत की कड़ी आपत्ति
भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि चीन नये कानून बनाने का जो एकतरफा फैसला किया है, उससे सीमा प्रबंधन पर मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था के साथ सीमा से जुड़े सवालों पर असर पड़ सकता है. इस तरह के एकतरफा कदम को भारत स्वीकार नहीं करेगा। सीमा से जुड़े सवाल और एलएसी पर शांति बनाए रखने को लेकर दोनों देशों के बीच व्यवस्था पहले से ही है। भारत ने कहा, ''हम ये उम्मीद करेंगे कि चीन नए कानून के तहत कोई कदम नहीं उठाएगा।.'' यह कानून अगले वर्ष एक जनवरी से प्रभाव में होगा. इस कानून में कहा गया है कि यह भारत से लगी सीमा के लिए होंगे. भारत के साथ चीन की 3,488 किलोमीटर सीमा विवादित है. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार भारत और चीन के बीच 17 महीनों से सीमा पर गतिरोध जारी है.
Source : News Nation Bureau