युद्ध हमेशा तबाही लाता है. हजारों-लाखों सैनिक मारे जाते हैं. उनके परिवार अनाथ हो जाते हैं. आम जनता भी युद्ध की बलि चढ़ जाती है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती होती है किसी देश का युद्ध से बाहर निकल कर पुनर्निर्माण कार्यों में जुट जाना. लेकिन रूस को रोकने के लिए यूक्रेन ने ऐसा काम कर दिया है कि वो अब खुद मुश्किल में घिर गया है. यूक्रेन की राजधानी समेत बड़े शहरों में कदम-कदम पर अदृश्य मौत का साया है. इसकी वजह है खुद यूक्रेन के बिछाए बमों के जाल. जिसमें बारूदी सुरंग से लेकर ऐसे स्ट्रेटजिक बम भी शामिल हैं, जो रूसी सेना का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन रूसी सेना अगर उन तक पहुंचे बिना ही लौट गई तो यही बारूदी सुरंगों और बमों के जाल आम यूक्रेनियों की जान लेंगे. हर रोज धमाके होंगे. अनगिनत मासूम इन धमाकों की बलि चढ़ जाएंगे. युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन अब यूक्रेन को अपनी इस गलती का अहसास हो रहा है. इसीलिए यूक्रे के होम मिनिस्टर ने अभी से पश्चिमी देशों से मदद मांगनी शुरू कर दी है कि उसने जो मौत के सामान इधर-उधर दुश्मनों के इंतजार में छोड़े हैं, कहीं वो उनके अपनों के लिए ही काल न बन जाएं.
यूक्रेन में कदम-कदम पर खतरा
युद्ध में दुश्मन देश की तेजी से बढ़त को रोकने के लिए स्ट्रेटजिक तौर पर कुछ ऐसे कदम उठाए जाते हैं, जो हमलावर को भारी नुकसान पहुंचाए. यही नहीं, दुश्मन सेना को शहर में घुसने से रोकने के लिए पुलों तक को उड़ा जाता है. फसलों से भरे खेतों को जला दिया जाता है. दैनिक जरूरत वाले दुकानों को खाली कर दिया जाता है. हाईवे को नष्ट कर दिया जाता है. खाली बिल्डिंगों को बारूद से भर दिया जाता है, ताकि दुश्मन देश की सेना उनका इस्तेमाल न कर सकें. लेकिन यूक्रेनी सेना ने इससे भी खतरनाक कदम चुना. जिसमें यूक्रेन ने रूसी सेना को रोकने के लिए बड़ी तादाद में माइंस बिछा दी. इसके अलावा यूक्रेन में रूस ने कई शहरों पर भारी गोलाबारी भी की है. जिसमें कई विस्फोटक ऐसे ही बच गए हैं. आपको बता दें कि वियतनाम, कंबोडिया, लाओस ही नहीं, इराक जैसे युद्ध ग्रस्त देशों में भी कई बार ऐसे बम मिल जाते हैं, जो जिंदा होते हैं. कई बार इनके फटने से बड़े हादसे भी हुए हैं. जर्मनी में तो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय के बम मिलते रहते हैं. लेकिन यूक्रेन में सभी बम नए हैं और विशेष तौर पर रूस को रोकने के लिए लगाए गए हैं, लेकिन अब उन्हें समय रहते निष्क्रिय करना यूक्रेन के लिए ही चुनौती बन गया है.
यूक्रेन के गृहमंत्री ने मांगी अंतरराष्ट्रीय मदद
यूक्रेन के गृह मंत्री डेनिस मोनास्टिरस्की ने ये कहा है कि रूसी हमले के दौरान बगैर विस्फोट वाले विस्फोटकों की तलाश कर उन्हें निष्क्रिय करने में कई साल का वक्त लगेगा. उन्होंने साथ ही ये भी कहा है कि युद्ध समाप्त होने के बाद देश को व्यापक स्तर पर इस अभियान के लिए पश्चिमी देशों की सहायता की जरूरत होगी. यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन में बड़ी संख्या में गोले दागे गए हैं जिनमें से तादाद ऐसे गोले की है जिनमें विस्फोट नहीं हुआ है. ऐसे काफी गोले मलबे के नीचे दबे हैं और ये हमारे देश के लिए असली खतरा है. उन्होंने कहा कि ऐसे गोले खोजने और उन्हें डिफ्यूज करने में महीनों नहीं, कई साल लगेंगे. रूस के बिना फटे गोले तो खतरा हैं ही, यूक्रेन की सेना ने भी रूसी सेना को पुल, हवाई अड्डे और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने से रोकने के लिए लैंड माइंस लगाई हैं.
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यूक्रेन से कई मिलियन लोगों का पलायन
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से पूरे देश से लोग पयालन कर रहे हैं. अब तक 4-5 मिलियन लोग दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं. इसके अलावा दूसरे देशों के नागरिक भी यूक्रेन से निकले हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आधिकारिक तौर पर तीन मिलियन से ज्यादा लोगों के शरणार्थी के तौर पर यूक्रेन छोड़ने की जानकारी दी है. भारत सरकार ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा जैसा बड़ा ऑपरेशन चलाया. और हजारों लोगों को सुरक्षित यूक्रेन के पड़ोसी देशों के रास्ते वहां से निकाला. ऐसे में जब ये बड़ी आबादी अपने घरों को लौटेगी, तो वहां कदम-कदम पर बिछे बारूदी बमों की चपेट में आने का खतरा मंडराता रहेगा.
HIGHLIGHTS
- यूक्रेन में रूस ने हमले की गति बढ़ाई
- यूक्रेन ने रूस को रोकने में झोंकी पूरी ताकत
- रूस को रोकने के लिए लगाई बनीं गले की फांस