अगर ईरान और अमेरिका के बीच चल रहा तनाव युद्ध में बदलता है तो यह भारत के लिए काफी बड़ी परेशानी का कारण बनेगा. दोनों के इस कदम से करीब 70 लाख भारतीय और उन पर आश्रित लोगों की जिंदगी में तूफान आ सकता है.
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बढ़ सकता है ऊर्जा संकट
अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होने की स्थिति में भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर संकट आ सकता है. ऊर्जा संकट से भारत की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में जा सकती है. गौरतलब है कि फारस की खाड़ी एक्सपोर्ट के लिए भारत का सबसे बड़ा बाजार है. इस इलाके में युद्ध की स्थिति को लेकर भारत की खामोशी बाद में भारी पड़ सकती है. जानकारों का कहना है कि भारत को एक जैसे सोच रखने वाले देशों को युद्ध रोकने की कोशिश करनी चाहिए. उनका कहना है कि भारत ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों पर अमल कर रहा है. हालांकि पहले भारत का पक्ष था कि वह संयुक्त राष्ट्र के अलावा किसी तीसरे देश की प्रतिबंधों को नहीं मानेगा. ईरान से अचानक से ऑयल इंपोर्ट बंद करना जल्दबाजी में उठाया गया कदम है.
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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ईरानी समकक्ष जवाद जरीफ से कहा कि चीन अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंध का विरोध करता है. हम ईरान की स्थिति और चिंता को समझते हैं और उसके हितों की रक्षा करने के लिए ईरान के पक्ष में खड़े हैं. पूर्व राजनयिक एमके भद्रकुमार का कहना है कि ईरान भारत का रणनीतिक और ऊर्जा साझेदार है. उन्होंने कहा कि जो भी देश सहयोगियों पर फैसला लेने में सक्षम नहीं है तो वैश्विक मंच पर उसकी छवि खराब होती है.
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ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध को आसान समझकर भारत को नुकसान पहुंचा है. वहीं इस बात की प्रबल संभावना बन रही है कि ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध को यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन चुनौती दे सकते हैं. यह यूएस के वैश्विक नेतृत्व और प्रभुत्व के लिए ऐतिहासिक खतरा बन सकता है.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होने की स्थिति में भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर संकट
- युद्ध की स्थिति में ऊर्जा संकट से भारत की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में जा सकती है
- ईरान पर US प्रतिबंध को EU, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन दे सकते हैं चुनौती