अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि अमेरिका भारत का सबसे विश्वस्त सहयोगी है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब अनिश्चितता का माहौल है ऐसे में चीन की हरकतें चुनौतीपूर्ण हैं।
भारत के प्रति अमेरिकी नीति पर ट्रंप प्रशासन के पहले भाषण में टिलरसन ने चीन की बढ़ते प्रभाव पर कहा कि चीन का व्यवहार 'नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती' है।
उन्होंने कहा, 'चीन जो भारत के साथ ही विकासित हो रहा है वो कम जिम्मेदारी निभा रहा है। कई बार अंतरराष्ट्रीय नियमों और व्यवस्था की अनदेखी कर रहा है। भारत जैसे देश नियमों को मानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा भी कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'चीन की साउथ चाइना सी में जो कुछ कर रहा है वो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है, जिसका सम्मान भारत और अमेरिका दोनों करते हैं।'
और पढ़ें: PM पद पर थी मुखर्जी की नजर, मनमोहन सरकार में नहीं करना चाहते थे काम
उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ रचनात्मक संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, 'चीन की नियम आधारित व्यवस्था को चुनौती से हम पीछे नहीं हटेंगे या फिर चीन जहां पड़ोसी देशों की संप्रभुता को खतरे में डालने की कोशिश करता है और अमेरिका और उसके मित्रों को नुकसान पहुंचाता है।'
उन्होंने कहा, 'इस दौर में नाराज़गी और अनिश्चितता है, भारत को विश्व पटल पर एक विश्वस्त सहयोगी की ज़रूरत है। मैं ये साफ करना चाहता हूं हमारे साझा मूल्यों और विश्व की स्थायित्व, शांति और संपन्नता के आदर्शों को देखते हुए अमेरिका ही उसका सहयोगी है।'
इसके साथ ही चीन के वन बेल्ट, वन रोड परियोजना के मद्देनज़र अमेरिका ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया है। उसका कहना है कि ये क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ा हुआ है।
अमेरिका के विदेशमंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा कि सिल्क रोड से लेकर ग्रांड ट्रंक रोड तक दक्षिण एशिया सदियों तक व्यापार, विचारों और लोगों के संपर्क का एक बड़ा जरिया रहा है।
उन्होंने कहा, 'लेकिन आज ये क्षेत्र आर्थिक तौर पर विश्व का सबसे कम विकसित क्षेत्र है।'
उन्होंने कहा, 'अमेरिका और भारत को इस क्षेत्र में संपर्क को बढ़ाने और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिये ज्यादा मौकों की तलाश करनी चाहिये। हमें दूसरे रास्तों को भी खोजना चाहिये जो विकास को बढ़ावा दे सकें।
उन्होंने कहा, 'भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं और उससे जुड़े निवेश के विकल्प सीमित हैं। जिससे वहां पर लोगों को रोजगार और संपन्नता नहीं मिल पाती।'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा दोनों देस महत्वाकांक्षी सहयोग को बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध हैं ताकि दोनों देशों के साथ ही शांति का समर्थन और उस दिशा में काम करने वाले देशों को भी लाभ मिल सके।
और पढ़ें: केंद्र ने कहा- केंद्रीय बल राज्य की पुलिस फोर्स का विकल्प नहीं
अपनी भारत यात्रा के पहले उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून में हुई मुलाकात में कई क्षेत्रों में सहयोग को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि रणनीतिक संबंधों के साथ ही दोनों देशों में कई मुद्दे ऐसे हैं जिनपर हम सहयोग कर रहे हैं।
अमेरिकी थिंक टैंक सीएसआईएस के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'महत्वाकांक्षी सहयोग को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी पहले के नेताओं से ज्यादा प्रतिबद्ध हैं। ताकि दोनों देशों के साथ ही उन देशों को भी इसका फायदा मिल सके जो शांति और स्थायित्व के लिये काम कर रहे हैं।'
टिलरसन अगले हफ्ते भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी यात्रा भारत-अमेरिका के संबंधों को लेकर इससे बेहतर समय में नहीं हो सकती है। जैसा कि आपको पता है कि ये साल दोनों देशों के बीच संबंधों की 70वीं सालगिरह है।'
और पढ़ें: दाऊद इब्राहिम की जब्त संपत्ति होगी नीलाम, सरकार ने निकाला विज्ञापन
उन्होंने कहा कि उनके भारत से संबंध 1998 से हैं। उस समय वो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर काम कर रहे थे।
उन्होंने कहा, 'भारत के साथ व्यापार करना एक बड़ी बात थी और ये सम्मान की बात है कि मैं अमेरिका के विदेश मंत्री के तौर पर भारत के नेताओं के साथ काम कर रहा हूं। आधिकारिक तौर पर मैं दिल्ली जाने के लिये तैयार हूं।'
उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार करने वाली 600 कंपनियों ने 500 फीसदी का निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ा है जबकि अब दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
और पढ़ें: बोफोर्स घोटाला: जासूस हर्शमैन के दावों की जांच करेगी सीबीआई
Source : News Nation Bureau