क्या चीन की तर्ज पर दुनिया के बाकी मुल्क भी हैं? जानिए विस्तार से

राजनीतिक-आर्थिक बदहाली और तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव है

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Shubhrangi Goyal
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क्या है चीन की रणनीति( Photo Credit : social media)

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मुल्क की राजनीतिक-आर्थिक बदहाली और तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव है, जिससे एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.8 अरब डॉलर तक गिर गया है, जिससे बामुश्किल एक-सवा महीने ही आयात किया जा सकता है. पाकिस्तानी रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर है. एक डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रूपया जहां करीब 370 रूपए था वहीं पाकिस्तान रुपया करीब 225 पर पहुँच गया है. खाद्य वस्तुओं में 74 फीसदी का इजाफा हो चुका है जबकि पेट्रोल-डीजल के दाम अब पाकिस्तान में करीब 265 रुपये प्रति लीटर है.

पाकिस्तानी सरकार अपनी कमाई का 40 फीसदी सिर्फ कर्ज का ब्याज भरने के लिए खर्च करने को मजबूर है. इस बीच चीन लगातार पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फंसाता रहा है. अकेले 18 लाख करोड़ रुपये का कर्ज तो पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ने अपने कार्यकाल के दौरान लिया. कुल मिलाकर पाकिस्तान पर मार्च, 2022 तक 44 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है. जिसके चलते पैदा हुए हालात कंगाली की ओर इशारा करते हैं.

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खाने पीने की चीजें 70 फीसदी तक बढ़ चुकी

म्यांमार कंगाली की कतार में दूसरा नाम म्यांमार का है.म्यांमार में सेना के तख्तापलट से तमाम राजनीतिक और आर्थिक सुधारों पर ब्रेक लग चुका है. मुल्क पर बाहरी कर्ज 9.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है जो उसकी जीडीपी का 35 फीसदी है. सेना के सत्ता संभालने से अब तक देश की करेंसी आयात डॉलर के मुकाबले 50 फीसदी तक गिर चुकी है. बड़े पैमाने पर आबादी गरीबी झेलने को मजबूर है. वहीं बीते एक साल में ही फ्यूल प्राइज 50 फीसदी जबकि खाने पीने की चीजें 70 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं. म्यांमार की इकनॉमी के ताजा हालात लगभग श्रीलंका जैसे ही हैं! वैसे नेपाल, अफगानिस्तान, मालदीव और लाओस जैसे कुछ और देश भी इसी कतार में नजर आ रहे हैं!

 

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तानी रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ
  • इकनॉमी के ताजा हालात लगभग श्रीलंका जैसे ही है.
  • खाने पीने की चीजें 70 फीसदी तक बढ़ चुकी

 

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