11 सितंबर 2001, यही वो तारिख है जिसे अमेरिका आज तक नहीं भूला पाया और न ही शायद भूला पाएगा, क्योंकि यही वो तारीख है जब अमेरिका देखते ही देखते एक झटके में तबाह हो गया था. इसे हम 9/11 हमले के नाम से जानते हैं. आज से 18 साल पहले अमेरिका में हुए इस हमले से अमेरिकी की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया हिल गई थी. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए इस हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने फ्लाइट को मिसाइल की तरह इस्तेमाल किया था. इस हमले को अल कायदा ने अंजाम दिया था. ये आत्मघाती हमलों की श्रृखंला थी जिसमें तीन विमानों को हाइजैक किया गया था. इस हमले को अलकायदा के 19 आतंकवादियों ने मिलकर अंजाम दिया था. इस आतंकी हमले से जो तबाही हुई उसे पूरा अमेरिका दहल उठा था.
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कैसे दिया गया था हमले को अंजाम.
आतंकियों ने जिन तीन विमानों को हाइजैक किया, उनमें से एक को न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से जाकर टकरा दिया. ये टकराव इतना जबरदस्त था कि 2 घंटों में दोनों इमारतें ढह गई. इसके अलावा फ्लाइट में यात्रा कर रहे लोगों के साथ-साथ इन इमारतों में काम कर कई लोग भी जान गंवा बैठे. इसके अलावा विमानों को हाईजैक करने वाले आतंकी इस हमले में मारे गए. इसके अलावा आस-पास की इमारतों को भी भारी नुकसान पहुंचा था. इस हमले में 2,752 लोग मारे गए थे. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में 90 से ज्यादा देशों के नागरिक मारे गए थे. ट्विन टावरों में लगी आग बुझाने में पूरे 100 दिन लग गए थे.
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इसके बाद, दूसरे विमान की टक्कर वाशिंगटन डी.सी. के बाहर आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटाग से हो गई थी जिसमें 184 लोग मारे गए थे. ये टकराव भी काफी जबरदस्त था. वहीं तीसरा विमान खाली जगह क्रैश हो गया. बता दें, इस हमले में जिस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को निशाना बनाया गया वो 4 अप्रैल 1973 को बनरकर तैयार हुआ था. इसमें 7 इमारते थीं जिसको बनाने में 400 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे. इममें 0 हजार कर्मचारी काम करते थे.