आतंकियों से बढ़ी चीन की चिंता, अफगानिस्तान में बनाएगा मिलिट्री बेस

अशांत क्षेत्र में शिंगशियांग प्रांत में आतंकियों की घुसपैठ से चिंतित चीन अफगानिस्तान में मिलिटरी बेस बनाने के लिये अफगानी सरकार से बातचीत कर रहा है।

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pradeep tripathi
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आतंकियों से बढ़ी चीन की चिंता, अफगानिस्तान में बनाएगा मिलिट्री बेस

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग (फाइल फोटो)

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अशांत क्षेत्र में शिंगशियांग प्रांत में आतंकियों की घुसपैठ से चिंतित चीन अफगानिस्तान में मिलिटरी बेस बनाने के लिये अफगानी सरकार से बातचीत कर रहा है।

कारोबार बढ़ाने की कोशिशों के साथ ही चीन अपनी सामरिक स्थिति भी मजबूत कर रहा है। अफ्रीका के जिबूती में पहला विदेशी सैन्य अड्डा बनाने के बाद वह अब अफगानिस्तान में दूसरा बेस बनाने की तैयारी कर रहा है। इससे साफ हो गया है कि अफगानिस्तान की धरती पर चीन की भूमिका बढ़ने वाली है। अफगान अधिकारियों ने बताया है कि अफगानिस्तान से चीन में आतंकियों के आने पर रोक लगाने के लिए पेइचिंग मिलिटरी बेस बनाने पर बात कर रहा है। चीन की चिंता यह है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी अफगानिस्तान के रास्ते देश में दाखिल हो सकते हैं।

अफगान अधिकारियों का कहना है कि आर्मी कैंप अफगानिस्तान के सुदूर और पहाड़ी वाखान कॉरिडोर में बनाया जाएगा। इस इलाके में चीन और अफगानिस्तान के सैनिकों को संयुक्त रूप से गश्त करते देखा गया है।

अफगानिस्तान का यह इलाका सर्द और बंजर है। साथ ही चीन के अशांत शिंजियांग प्रांत से सटा हुआ है। यह इलाका अफगानिस्तान के बाकी हिस्से इतना कटा हुआ है कि यहां के रहने वालों को अफगानिस्तान के संघर्ष की भी जानकारी ही नहीं है। वो कठिन लेकिन शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे हैं।

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यहां रहने वाले लोगों के शिंजियांग के लोगों से काफी घनिष्ठ संबंध हैं और चीन के यात्रियों में लेकर काफी दिलचस्पी रहती है।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग आर्थिक और भूराजनीतिक दबदबा बढ़ाना चाह रहे हैं। इसके लिए चीन दक्षिण एशिया में अरबों डॉलर का निवेश भी कर रहा है। चीनी विष्लेशकों का कहना है कि जो कुछ भी किया जाए उसमें सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए।

चीन की चिंता इस बात को लेकर भी है ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) के उइघर समुदाय के लोग वाखान के रास्ते शिंगशियांग में आकर हमले कर रहे हैं।

इसके अलावा चीन इस बात को लेकर भी चिंतित है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी इराक और सीरिया से भागकर मध्य एशिया होते हुए और शिंगशियांग से होकर अफगानिस्तान पहुंच सकते हैं। या फिर वाखान के रास्ते चीन में भी घुसपैठ कर सकते हैं।

अफगान रक्षा मंत्रालय के उप-प्रवक्ता मोहम्मद रदमनेश ने कहा कि इस संबंध में अफगान और चीनी अधिकारियों के बीच बातचीत भी हुई है लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

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उन्होंने कहा, 'हम बेस बनाने की इजाजत देंगे लेकिन चीन की सरकार ने हमें वित्तीय मदद देने के वादे के साथ ही उपकरणों और अफगान सैनिकों को प्रशिक्षण देने का भी आश्वासन दिया है।'

काबुल में चीनी दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने केवल इतना कहा कि पेइचिंग अफगानिस्तान में क्षमता निर्माण में शामिल है।

अमेरिकी पहले ही अफगानिस्तान में चीन की भूमिका का स्वागत कर चुके हैं। उनका कहना है कि दोनों की चिंताएं एक सी हैं।

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Source : News Nation Bureau

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