पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस साल 'दिमाग खाने वाले' अमीबा से अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है. ताजा मामले में कराची के एक युवक की मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक दुर्लभ घटना में, पाकिस्तान के कराची में प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) से 22 साल के एक युवक की मौत हो गई. जिससे इस साल मरने वालों की संख्या तीन हो गई है. पीएएम विशेष रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की एक बीमारी है जो नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होती है जिसे आमतौर पर 'दिमाग खाने वाला' अमीबा कहा जाता है.
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पूल में स्विमिंग के बाद हुआ था बीमार
पीड़ित की पहचान औरंगजेब के रूप में हुई. बताया जा रहा है कि 7 जुलाई को कायदाबाद के एक फार्महाउस में अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के बाद वह इस बीमारी की चपेट में आ गए, जहां उनका समूह तैराकी के लिए भी गया था. अगले दिन औरंगजेब में इस बीमारी के लक्षण दिखने लगे, जिनमें मतली और बुखार शामिल थे. इसके बाद 10 जुलाई को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहीं 11 जुलाई को युवक में उस वायरस की पुष्टि हुई. कैटल कॉलोनी के रहने वाले औरंगजेब का जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर (JPMC) में इलाज चल रहा था.
7 जुलाई को दोस्तों संग गया था तैराकी करने
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युवक 7 जुलाई को दोस्तों के साथ कायदाबाद के एक फार्महाउस में पिकनिक मनाने गए थे, जहां वे पूल में तैरने लगे. औरंगजेब में 8 जुलाई को बुखार, सिरदर्द और मतली सहित लक्षण दिखाई देने लगे. उसके बाद उसे 10 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 11 जुलाई को वायरस की पुष्टि हुई थी. 22 वर्षीय औरंगजेब इस साल शहर में घातक संक्रमण का तीसरा शिकार है. अन्य दो मामले पहले कोरंगी और मालिर में सामने आए थे.
पाकिस्तान में कई लोगों की जान ले चुका है ये अमीबा
बता दें कि यह संक्रमण पहले भी पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में कई लोगों की जान ले चुका है. पिछले साल नेगलेरिया फाउलेरी से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. 98 प्रतिशत मामलों में संक्रमण घातक पाया जाता है. बता दें कि नेग्लेरिया, एक स्वतंत्र रूप से रहने वाला अमीबा, अक्सर गर्म, मीठे पानी (झीलों, नदियों और गर्म झरनों) और मिट्टी में पाया जाता है.
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केवल इंसानों को फैलता है ये अमीबा
इस अमीबा की केवल एक प्रजाति, नेगलेरिया फाउलेरी, मनुष्यों को संक्रमित करती है. यह लोगों को तब संक्रमित करता है जब अमीबा युक्त पानी नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. ऐसा अक्सर तब होता है जब लोग तैरते हैं, गोता लगाते हैं, या झीलों और नदियों जैसे ताजे पानी में अपना सिर डुबोते हैं. इससे अमीबा नाक और फिर मस्तिष्क में चला जाता है, जहां यह मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है और पीएएम का कारण बनता है.
लक्षण शुरू होने के बाद, रोग तेजी से बढ़ता है और आमतौर पर पांच दिनों के भीतर मरीज की मौत हो जाती है. बताया जा रहा है कि पीएएम के शुरुआती लक्षण अक्सर संक्रमण के लगभग पांच दिन बाद दिखाई देते हैं और इसमें सिरदर्द, बुखार, मतली या उल्टी शामिल हो सकते हैं. बाद के लक्षणों में गर्दन में अकड़न, भ्रम, लोगों और परिवेश पर ध्यान न देना, दौरे, मतिभ्रम और कोमा शामिल हो सकते हैं.
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Source : News Nation Bureau