साल 2024 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार जापानी संगठन ‘निहोन हिडांक्यो’ को दिया गया है. संगठन को पुरस्कार के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि इसने परमाणु हथियारों से रहित दुनिया के बारे में सोचा. संगठन ने गवाहों के माध्यम से यह साबित करने का प्रयास किया परमाणु हथियारों का दोबारा से उपयोग न हो. संगठन ने हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के लिए जमीनी स्तर पर लड़ाई लड़ी है.
नॉर्वेजियन नोबेल समिति को इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 286 उम्मीदवारों के आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें से 89 संगठन हैं. पिछले साल यानि 2023 में ईरानी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिर मोहम्मदी को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था. उन्हें डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर के उप निदेशक के रूप में उनके काम के लिए जाना जाता है. यह एक संगठन है जो ईरान में प्रतिबंधित है.
दो नोबेल प्राइज पाने वाला शख्स
अमेरिका के पोर्टलैंड में जन्मे लिनस पॉलिंग दुनिया के एक ऐसे शख्स हैं जो दो-दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. एक नोबेल पुरस्कार उन्हें केमिस्ट्री में मिला था. वहीं दूसरा पुरस्कार शांति के लिए था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने रासायनिक बंधन के कंसेप्ट को दुनिया के सामने रखा था. इसे समझाने को लेकर क्वांटम मैकेनिक्स का उपयोग किया. बाद में उन्होंने परमाणु हथियारों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया. परमाणु परीक्षण पर रोक लगाने को लेकर एक पिटीशन भी दायर की थी.
नोबेल पुरस्कार के लिए कैसे होता है चुनाव
नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की संसद (स्टॉर्टिंगेट) की ओर से चुनी एक समिति की ओर से प्रदान किया जाता है. समिति में नॉर्वेजियन संसद की ओर से नियुक्त 5 सदस्य शामिल होते हैं. ये पुरस्कार को लेकर विजेताओं का चयन करते हैं. इसके साथ विजेता को नोबेल प्राइज और डिप्लोमा के संग बड़ी पुरस्कार राशि वाला एक दस्तावेज भी दिया जाता है.