Pakistan: भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रचने वाले आतंक के दोस्त और रहनुमा पाकिस्तान से एक बड़ी खबर सामने आई है. आखिरकार पाकिस्तान ने आठ साल बाद अपने घुटने टेक दिए हैं. भारत के बढ़ते कद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहुंच के बाद पाकिस्तान ने भी मान लिया है बिना भारत के उसका कुछ नहीं हो सकता है. पाकिस्तान ने भले ही भारत में दहशत फैलाने के लिए कोई कसर न छोड़ी हो लेकिन हर बार उसे मुंह की ही खाना पड़ी है. लेकिन इन सबके बीच अब पाकिस्तान को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की याद आई है. यही वजह है कि पाकिस्तान ने पीएम मोदी को एक खास ऑफर दिया है. ये ऑफर एक न्योते के रूप में आया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
पाकिस्तान को पीएम मोदी की जरूरत
पाकिस्तान को अब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जरूरत महसूस होने लगी है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार पाकिस्तान की किरकिरी हो रही है. देश गरीबी और भूखमरी जैसे हालातों से गुजर रहा है. चीन और अमेरिका के रहम पर चल रहे पाकिस्तान को अब भारत से बड़ी उम्मीदें भी हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान में होने जा रहे एक बड़े मौके के लिए उसे भारतीय पीएम मोदी की जरूरत है.
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8 साल बाद पाकिस्तान ने उठाया कदम
दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शंघाई सहयोग संगठन को लेकर पीएम मोदी को इन्विटेशन भेजा है. इस निमंत्रण के जरिए पाकिस्तान एक बार फिर भारत के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश करना चाहता है.
पाकिस्तान ने 8 वर्षों बाद भारतीय प्रधानमंत्री को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए न्योता दिया है. ये मीटिंग 15-16 अक्टूबर को होना है. 8 साल में यह पहला मौका है जब पाकिस्तान की तरफ से भारत के प्राइम मिनिस्टर को न्योता दिया गया है.
क्या है भारत का रुख
बता दें कि अब तक भारत की ओर से पाकिस्तान के न्योते को लेकर प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि भी नहीं हुई है कि प्रधानमंत्री अक्टूबर के महीने में पाकिस्तान जाएंगे या नहीं. या फिर इस कार्यक्रम में वह वर्चुअली हिस्सा लेंगे या नहीं.
दरअसल इस संगठन का नेतृत्व चीन या रूस करते आए हैं. इस बैठक को लेकर वैसे तो भारत का रुख हमेशा से ही सकारात्मक ही रहा है. भारत की कोशिश यह भी है कि इस संगठन में चीन ने प्रभुत्व को कम किया जाए. ऐसे में भारत लगातार रूस का समर्थन करता रहा है. इस बार यह बैठक पाकिस्तान में आयोजित की जा रही है और ऐसे में भारत के रुख पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं.
कजागिस्तान में नहीं पहुंचे थे पीएम मोदी
बता दें कि जुलाई के महीने में ही आयोजित राष्ट्र प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले पाए थे. जुलाई महीने में संसद सत्र के दौरान आ रही तारीखों के चलते पीएम मोदी ने इसमें शामिल होने में असमर्थता जताई थी. उस दौरान भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिनिधित्व किया था.
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