पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अब ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय के चांसलर का चुनाव लड़ेंगे. पहली बार हो रहे ऑनलाइन मतदान प्रक्रिया में खान जेल से शामिल होंगे. इमरान ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी है. बता दें, खान ऑक्सफॉर्ड के छात्र हैं. उन्होंने 1972 में विवि के केबल कॉलेज में राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी. खान ऑक्सफॉर्ड की क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे. बहुत कम लोग जानते हैं कि खान ब्रैडफोर्ड विवि के कुलपति भी रह चुके हैं. 2005 से लेकर 2014 तक वे इस पद पर सेवारत थे.
खान के विदेश सलाहकार सैयद जुल्फी बुखारी का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने जेल से ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है. जनता की मांग पर उन्होंने यह निर्णय लिया है. एक दिन पहले इस मुद्दे पर खान से बात हुई है. 24-48 घंटे के अंदर इस बारे में निर्णय ले लिया जाएगा. बुखारी के मुताबिक, चांसलर पद के लिए टोनी ब्लेयर और बोरिस जॉनसन जैसे वैश्विक नेता भी मैदान में हैं.
3.5 लाख से अधिक पूर्व छात्र मतदान में होंगे शामिल
ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय के चांसलर लॉर्ड पैटन ने 21 साल की सेवा के बाद हाल ही में 80 वर्ष की आयु में इस्तीफा दिया है. उनके इस्तीफे के कारण यह पद खाली हो गया. अब तक विवि के चांसलर पद के मतदान में पूर्व छात्र-छात्राएं फुल शैक्षणिक ड्रेस में विवि जाते थे और वहां मतदान करते थे. इस साल पहली बार चांसलर पद का चुनाव ऑनलाइन होगा. 3.5 लाख से अधिक पूर्व विद्यार्थी मतदान में शामिल होंगे. बता दें, चांसलर बनने का मौका अधिकतर पूर्व विद्यार्थियों और राजनीतिज्ञों को ही मिलता है.
तोशाखाना मामले में सबसे पहले अरेस्ट हुए खान
पिछले साल तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी पीडीएम ने चुनाव आयोग के समक्ष तोशाखाना मामला उठाया था. उन्होंने कहा कि इमरान ने अपने कार्यकाल में अन्य देशों से मिले तमाम भेटों को बेच दिया है. इमरान ने आयोग को जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने भेटों को 2.15 करोड़ में खरीदा था और उन्हें 5.8 करोड़ रुपये में बेचा था. मामले में कुछ समय बाद सामने आया कि रकम 20 करोड़ से अधिक थी. इसके अलावा, तीन साल पहले अबरार खालिद नाम के व्यक्ति ने एक अर्जी दायर की और कहा कि उन्हें दूसरे देशों से मिले भेटों की जानकारी चाहिए. सरकार ने मना कर दिया तो खालिद ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका डाल दी. हाईकोर्ट ने जानकारी ने देने पर पूछा तो खान के वकील ने काह कि दूसरे देशों ने क्या गिफ्ट्स दिए हैं, यह बताने से दूसरे देशों से रिश्ते खराब हो सकते हैं. मुल्क की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जानकारी देने से मना किया गया है.